अब बातें न होंगी जंग की,अब बातें न होंगी जंग की।
माँ ने देखा ख्वाब में सरहदों के मंजर को जब।दिल धक् से हो गया,ख्याल आया बेटे का जब।कौन है सरहदों पर इंसानियत का दुसमन है जो,क्या सोच है ये कुछ बदगुमां इंसानो की।जो स्वार्थ में चढ़ा रहा बलि देश के परवानो की।सरहदों के पार भी तो होंगे माँ के बेटे ही।दर्द उनको भी तो होता होगा,उजड़ता होगा उनका आशियाँ।दिल दह