shabd-logo

अब बातें न होंगी जंग की,अब बातें न होंगी जंग की।

3 अक्टूबर 2017

100 बार देखा गया 100
माँ ने देखा ख्वाब में सरहदों के मंजर को जब। दिल धक् से हो गया,ख्याल आया बेटे का जब। कौन है सरहदों पर इंसानियत का दुसमन है जो, क्या सोच है ये कुछ बदगुमां इंसानो की। जो स्वार्थ में चढ़ा रहा बलि देश के परवानो की। सरहदों के पार भी तो होंगे माँ के बेटे ही। दर्द उनको भी तो होता होगा,उजड़ता होगा उनका आशियाँ। दिल दहलता होगा उनका भी सुन जंग की भयानक दास्ताँ। हमने तो शहीद नाम दे कर लिया कर्तव्य पूरा, दर्द तो जाने है वो जिन्होंने खोया है अपना आसमां। चीखें उन घरों में अब भी गूंजा करती है हरदम, बूढ़ी आँखे ढूढ़ती है रास्तों पे पैरो के निशां, उजड़ा सुहाग है जिनका रखते ही पहला कदम। रहे है सूनी, रातें है सूनी ,सूनी हो गयी सारी जिंदगी। है कोई मोल क्या उनके इस बलिदान की? बस करो छोड़ो गुमां ऐ इंसानियत के दुश्मनों। अपने निजी स्वार्थ में कब तक करोगे औरों की कुर्बानियां। आओ छोड़ सारे शिकवे गिले करे बातें अमन की। हम ठान ले न होने देंगे सूनी कोई गोद भी, न छलके गे आँसू किसी आँख से अब। होंगीं खुशियाँ दीपावली की खायेंगे सेवईयां ईद की । अब बातें न होंगी जंग की, बाते न होंगी जंग की। "हम केवल इंसान है हम केवल इंसान है।"

Brij Bihari की अन्य किताबें

Brij Bihari

Brij Bihari

धन्यवाद

4 अक्टूबर 2017

रेणु

रेणु

कविवर ! काश आपकी ये कल्पना सच हो जाये !!!!!!!!!! बहुत अच्छा लिखा आपने ----------

4 अक्टूबर 2017

1

किलकारी

10 सितम्बर 2017
0
1
2

जिस मंदिर में कभी किकारियां गुजा करती थी वहां पसरा है सन्नटा।दीवारे चीख चीख कर बया कर रही हैवानियत को।एक पल को सहम जाता है माँ का नन्हा सा दिल ।की लौट कर क्या सुनाने को मिलेंगी मीठी सी किलकारियां?आह! जरा सी भी कंपकपाहट नही आयी उन कातिल हाथों को।जिसने गाला घोट दिया उस मासूमियत का।दिल रोष से भर जाता ह

2

अब बातें न होंगी जंग की,अब बातें न होंगी जंग की।

3 अक्टूबर 2017
0
1
2

माँ ने देखा ख्वाब में सरहदों के मंजर को जब।दिल धक् से हो गया,ख्याल आया बेटे का जब।कौन है सरहदों पर इंसानियत का दुसमन है जो,क्या सोच है ये कुछ बदगुमां इंसानो की।जो स्वार्थ में चढ़ा रहा बलि देश के परवानो की।सरहदों के पार भी तो होंगे माँ के बेटे ही।दर्द उनको भी तो होता होगा,उजड़ता होगा उनका आशियाँ।दिल दह

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए