मुंबई. भारत में कोई भी काम बिना विवादों के पूरा हो ही नहीं सकता। पिछले दिनों ‘चंद्रयान-2’ लांच हुआ और जब हर चीज़ में कांट्रवर्सी हो रही है तो ‘चंद्रयान’ कैसे पीछे रह सकता था? रॉकेट की लांचिंग के साथ ही भारतीय राजनीति के एक खेमे ने इसे धार्मिकता से जोड़ना शुरू कर दिया। जिसमें सबसे आगे रहे मशहूर गीतकार, जावेद अख़्तर और उनकी पत्नी शबाना आज़मी|
जावेद अख़्तर - मैं कुछ भी कह सकता हूँ!
अख़्तर साहब ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा “यह सरकार सारे अच्छे काम हिंदू त्यौहारों पर ही क्यों करती है? राफ़ेल डील ‘नवरात्रि’ के समय साइन किया गया, ‘स्टैचू ऑफ़ यूनिटी’ का उद्घाटन भी गुजराती नये साल पर किया गया था, और अब ‘चंद्रयान-2’ भी सावन में लॉंच किया गया। ऐसी चीज़ें भारत के मुसलमान को और डराती हैं, यह सोचकर कि सरकार हमारे बारे में सोचती भी है या नहीं?”
मेरी सलाह है कि ऐसी चीज़ें रमज़ान में भी लॉंच करनी चाहिए! वरना इस सरकार को एंटी-मुस्लिम सरकार बनने से कोई नहीं रोक पाएगा!” -अख्तर साब ने आगे कहा।
जावेद के इस बयान पर जहाँ एक तरफ़ आधे से ज़्यादा बॉलीवुड उनके साथ खड़ा है वहीं आम नागरिक यानी कि ‘नेटीजन’ का इस मुद्दे पर कुछ और ही कहना है। उनकी इस बात का सोशल मीडिया पर जमकर मज़ाक़ उड़ाया जा रहा है।
एक शख़्स ने जावेद की इस बात का मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा “भारत में हर रोज़ कोई ना कोई तयौहार होता ही है, ऐसे में तो भारत में कुछ भी नया काम हुआ तो क्या जावेद, सरकार के ऊपर इल्ज़ाम लगा देंगे?”
एक और शख़्स ने कहा “ISRO के पूर्व कर्ता-धर्ता, अब्दुल कलाम भी मुस्लिम थे लेकिन उन्हें उनके काम के लिए जाना जाता है, जावेद अख़्तर का ऐसा बयान दर्शाता है कि आदमी कितना भी कामयाब हो जाए लेकिन बुढ़ापे में उनका दिमाग़ सटक ही जाता है!”
जावेद ने इस बयान पर अब तक माफ़ी नहीं माँगी है, लेकिन सोशल मीडिया आउट्रेज के बाद क्या वो माफ़ी माँगेंगे या नहीं यह देखने वाली बात ‘नहीं’ होगी।
नोट: यह लेख पूर्ण रूप से काल्पनिक है और यह केवल एक व्यंग है |