आजकल खिचड़ी चर्चा का विषय बनी हुई है। नेताओं से लेकर सोशल मीडिया तक में खिचड़ी पर ही बातें हो रही हैं। खैर कुछ भी हो लेकिन हमने भी खिचड़ी की तरह सब कुछ मिलाकर आपके लिए तैयार की है खिचड़ी की कहानी …
नेपाल से आती है सबसे पहली खिचड़ी
लोक मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले खिचड़ी बनाने की परंपरा की शुरूआत भगवान शिव ने की थी। ऐसा माना जाता है कि बाबा गोरखनाथ जो भगवान शिव का ही रुप थे उन्होंने ही सबसे पहले खिचड़ी बनाना शुरू किया था।
मान्यता के अनुसार त्रेता युग में हिमांचल के कांगड़ा की ज्वाला देवी ने भगवान शिव के अवतारी बाबा गोरक्षनाथ को भोजन के लिए आमंत्रित किया। बाबा गोरक्षनाथ ने उनकी दावत तो स्वीकार कर ली लेकिन जब वहां बलि होते और तामसी भोजन बनता देखा तो कहा कि वह सिर्फ खिचड़ी ही खाते हैं।
बाबा गोरखनाथ ने ज्वाला माता से कहा कि वह भिक्षा मांगने जा रहे हैं। खप्पर भरते ही लौट आएंगे। तब भिक्षा में मिले अनाज से खिचड़ी बनाई जाएगी। तब तक मां पानी खौलने के लिए रख दें।
इसके बाद वह भिक्षा लेने निकल पड़े। इसी दौरान वह गोरखपुर पहुंचे और वहां खप्पर रखकर ध्यान मुद्रा में बैठ गए। लोगों ने एक दिव्य योगी को देखा तो दान-पुण्य के उद्देश्य से खप्पर में अनाज चढ़ाने लगे लेकिन उस खप्पर की विशेषता थी कि कितना भी अनाज चढ़ा दिया जाए वह कभी भरता ही नहीं था। धीरे-धीरे उनकी ख्याति बढ़ती गई।
मान्यताओं के अनुसार सबसे पहली खिचड़ी बाबा गोरखनाथ ने ही बनाई। चूंकि बाबा गोरखनाथ का खप्पर कभी भरा नहीं इसलिए वह ज्वाला देवी के पास नहीं लौटे। हालांकि ज्वाला देवी स्थान पर आज भी गोरखनाथ बाबा की खिचड़ी के इंतजार में पानी खौल रहा है।
उधर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बाबा गोरखनाथ मंदिर में हर साल मकर संक्रांति के दिन से एक महीना खिचड़ी मेला लगता है। यही नहीं देशभर में मकर संक्रांति, खिचड़ी पर्व के रुप में मनाया जाता है। गोरखनाथ बाबा को खिचड़ी चढ़ाने देश भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। सबसे पहले नेपाल से खिचड़ी आती है।
संस्कृति और परंपरा - खिचड़ी बनाने की परंपरा की शुरुआत की थी भगवान शिव ने