टीवी पर जब सिर्फ दूरदर्शन चैनल का प्रसारण हुआ करता था तो इंसानी दिमाग विज्ञापनों को भी उतने चाव से देखा करता था जितने मन से फिल्में। टीवी के एड, उनके कलाकार और उनकी टैगलाइन मुंह पर रटी और दिमाग पर छपी हुई थी। कैसी जीभ लपलपाई से लेकर दिमाग की बत्ती जला दे तक की टैगलाइन, मोहल्ले के गलचौरों में शामिल हुआ करती थी। आजकल टीवी पर सैकड़ों चैनल और हाथ में रिमोट होता है। एड आने से पहले ही रिमोट का बटन दब जाता है। इसलिए एड् प्रोड्यूसर्स ने भी क्रिएटीविटी दिखानी कम कर दी है।
आज हम आपको उन विज्ञापनों की लिस्ट दिखाने जा रहे हैं जिन्हें देखकर न सिर्फ चेहरे पर खिलखिलाहट पसर जाएगी बल्कि यादें भी ताजा हो जाएंगी। तो कुर्सी की पेटी बांध लें... और दबा दें नीचे लपलपा रहे बटन को।