मोदी सरकार के आने के बाद सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिला रेलवे में. रेलवे को एक ट्वीट कीजिए और आपकी समस्या का समाधान कर देता है. जिस सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रेलवे लोगों की प्रॉब्लम सॉल्व करता है उसी से रेलवे के मजे लेने की कोशिश की जा रही है. फेसबुक पर एक फोटो चल रहा है जिसमें एक आधे छत वाली ट्रेन की बोगी दिखाई दे रही है. इसमें कोई सीट नहीं है और अंदर की दीवारें भी नॉर्मल से अलग दिख रही हैं. इसमें कुछ लोग खड़े हैं. और कुछ लोग बाहर ताका-झांकी कर रहे हैं. इसके साथ में मेसेज लिखा हुआ है-
लोकल ट्रेनो मे AC की सुविधा देकर मोदीजी ने विपक्ष के मुँह पर मार तमाचा और कहा ये होता है विकास
(नोट- हमेशा की तरह मेसेज की भाषा से कोई छेड़छाड़ नहीं की है. जैसा आया था वैसा आपके सामने है. वर्तनी और ग्रामर की गलती पर ध्यान न दें.)
अब मोदीजी की बात हो और मेसेज शेयर न हो यह तो पॉसिबल ही नहीं है. प्रियंका गांधी फ्यूचर ऑफ इंडिया नाम के फेसबुक पेज से इस फोटो को 13 हज़ार बार शेयर किया जा चुका है. सपोर्ट एनडीटीवी नाम के एक पेज से 7 हज़ार से ज्यादा बार शेयर किया गया है. साथ ही मोदी सरकार को अलग-अलग बातें लिखकर टारगेट किया जा रहा है.
फोटो की सच्चाई क्या है?
कमेंट्स में कई लोगों ने इस फोटो को एडिटेड या फेक बताया. उनके लिए जरूरी सूचना यह फोटो फेक नहीं है. इसकी सच्चाई जानने के लिए हमने स्टेशन के नाम पर जूम किया. थोड़ा कम क्लियर था पर पहला शब्द क और आखिर में गांव दिखा. हमने ऐसे सभी स्टेशनों की लिस्ट निकाली जिनका नाम क से शुरू होकर गांव पर खत्म होता हो. एक स्टेशन का नाम मिला कहलगांव. कहलगांव स्टेशन का सीन इस तस्वीर से मिल रहा था.
कहलगांव बिहार के भागलपुर में है. हमने भागलपुर के इंडिया टुडे से जुड़े पत्रकार राजीव सिद्दार्थ से बात की. उन्होंने बताया-
कहलगांव से 90 किलोमीटर दूर जमालपुर में रेलवे का बड़ा कारखाना है. यह भारत का पहला और एशिया का सबसे बड़ा रेल कारखाना है. हो सकता है ये कोई क्षतिग्रस्त बोगी हो जो रिपेयर के लिए वहां गई हो. तब किसी ने इसकी फोटो ली हो.
इसके बाद हमने कहलगांव स्टेशन के स्टेशन सुपरिंटेंडेंट समर सिंह से बात की. उन्होंने बताया-
जमालपुर रेलवे कारखाने से रेलवे व्हील्स मतलब ट्रेन के पहिये लाने और ले जाने के लिए यह बोगी स्पेशियली डिजायन्ड है. ऊपर से सामान लोड हो सके इसलिए इसे ऐसा बनाया गया है. इस बोगी को जरूरत के हिसाब से किसी भी ट्रेन में जोड़ दिया जाता है. इसमें सवारियों को चढ़ने की परमिशन नहीं होती है लेकिन कभी कभार इसमें सवारियां भी चढ़ जाती हैं. ऐसे ही कभी सवारियां चढ़ी होंगी जिसका यह फोटो है. मालगाड़ी से ऐसा करना महंगा पड़ता है इसलिए इसी बोगी से काम चलता है.
तो इस फोटो से जो लोग सरकार को ट्रोल कर रहे थे उनके लिए जवाब सामने है. यह कोई टूटी या उखड़ी छत की ट्रेन नहीं है बल्कि ये ऐसे ही बनाई गई है. हमारी पड़ताल में यह फोटो सही निकला. लेकिन इसके साथ जिस तरीके के मेसेज चल रहे हैं वो गलत हैं.