उमर खालिद. 13 अगस्त को नई दिल्ली के रफी मार्ग स्थित कॉन्सिट्यूशन क्लब के बाहर उनके ऊपर हमला हुआ. एक अनजान हमलावर ने उमर के ऊपर गोली चलाई. वो कौन था, कहां से आया था, अभी कुछ मालूम नहीं है. बस उसकी कुछ तस्वीरें हाथ आई हैं. जिस जगह पर ये घटना हुई, उसके पास ही है वल्लभभाई पटेल रोड. यहां पर लगे एक सीसीटीवी कैमरा में संदिग्ध का चेहरा दर्ज हो गया है.
पुलिस का क्या कहना है?
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, उन्हें सीसीटीवी फुटेज में एक संदिग्ध मिला है. उसने सफेद रंग की शर्ट और नीले रंग की जीन्स पहनी हुई है. उसकी लंबाई करीब 6 फुट के आसपास है. सीसीटीवी फुटेज में संदिग्ध बीठल भाई मार्ग की तरफ भागता हुआ नजर आ रहा है. पुलिस का कहना है कि उमर ने पहले भी कुछ लोगों पर उन्हें धमकियां देने का आरोप लगाया था. इस घटना की तफ्तीश के दौरान पुलिस उन तमाम लोगों की जांच कर रही है.
उमर ने क्या कहा है?
उमर ने भी इस घटना के बारे में फेसबुक पर पोस्ट लिखा है. उनके मुताबिक-
मुझे लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही थीं. पिछले कुछ सालों के दौरान में एक के बाद एक कई ऐक्टिविस्ट्स की हत्या देख चुका है. मुझे इस बात का अंदाजा था कि किसी दिन मेरे ऊपर भी बंदूक तन सकती है. दाभोलकर, कलबुर्गी, पनसारे, गौरी लंकेश, हत्याओं की ये फेहरिस्त लंबी ही होती जा रही है. लेकिन क्या मैं ये कह सकता हूं कि मैं इसके लिए तैयार था? क्या कोई भी ये कह सकता है कि वो मारे जाने के लिए खुद को तैयार कर चुका है? आजादी के दो दिन पहले अब ये सवाल भी उठ गया है कि अगर इस देश के लोगों को अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने भर के उनके ‘अपराध’ के लिए मरने को तैयार रहना पड़े, तो मुल्क को मिली इस आजादी का मतलब क्या है? सबसे अजीब तो ये है कि मैं ‘खौफ से आजादी’ नाम के प्रोग्राम में शामिल होने गया था, जब एक अज्ञात हमलावर ने मुझपर हमला किया और कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के सामने मुझे जान से मार डालने की कोशिश की.
आप उमर का पूरा स्टेटस नीचे पढ़ सकते हैं-
क्या हुआ था?
‘यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट’ नाम के एक संगठन ने कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में एक प्रोग्राम रखा था. इसका नाम था- खौफ से आजादी. उमर इसी में शरीक होने यहां पहुंचे थे. पास में ही एक चाय की टपरी है. वहां उमर कुछ दोस्तों और जानने वालों के साथ बैठकर चाय पी रहे थे. यहीं पर एक आदमी ने पहले उमर को पकड़ने की कोशिश हुई. हाथापाई भी हुई. उमर का संतुलन बिगड़ा और वो नीचे गिर गए. फिर हमलावर वहां से भागने लगा. उमर और उनके दोस्त हमलावर के पीछे दौड़े. बताया जा रहा है कि इसी दौरान हमलावर ने हवा में गोली चलाई. लोगों ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वो बचकर भाग निकला. भागने के दौरान उसके हाथ से पिस्तौल जमीन पर गिर गई.
फरवरी 2016 में उमर का नाम हेडलाइन्स में क्यों आया था?
फरवरी 2016 में उमर खालिद का नाम चला था. इल्जाम था कि JNU कैंपस के अंदर एक प्रोग्राम में भारत विरोधी नारे लगे. ये अफजल गुरू की फांसी के खिलाफ हुआ प्रोग्राम था. इसी घटना के संबंध में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनीरबन भट्टाचार्य के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ. आरोप था कि इन सबने ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ जैसे भारत विरोधी नारे लगाए हैं. दिल्ली पुलिस ने कन्हैया और अनीरबन को गिरफ्तार कर लिया था. कुछ दिनों तक फरार रहने के बाद उमर ने भी पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. बाद में इन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. उसके बाद JNU के एक पैनल ने उमर को निष्कासित करने की बात कही थी. कुछ और छात्रों को भी सजा देने की बात तय हुई थी. इन छात्रों ने यूनिवर्सिटी के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की. अदालत ने यूनिवर्सिटी से कहा कि ये मामला एक पैनल को सौंपा जाए. जहां फैसले पर पुनर्विचार हो. अभी जुलाई में खबर आई कि इस पैनल ने उमर को निष्कासित करने के पुराने फैसले को बरकरार रखने की बात कही है. जहां तक दिल्ली पुलिस का सवाल है, तो उसने अभी तक इन छात्रों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल नहीं की है.