लोकसभा के बाद अब गैर-कानूनी गतिविधि निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक राज्यसभा में भी पारित हो गया है, जिसकी मदद से अब किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित किया जा सकता है। इस बिल के पारित होने के समय जब संसद में अमित शाह अपनी बात रख रहे थे, तभी दिग्विजय सिंह ने इसका विरोध किया और एक ऐसा बयान दे दिया, जोकि तेज़ी से वायरल हो गया। जी हां, विपक्ष ने संसद में इस बिल में हुए संसोधनों का थोड़ा विरोध किया, लेकिन बाद में यह पारित हो गया। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
यूएपीए बिल में हुए संसोधन का कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने किया, जिसकी वजह से दिग्विजय सिंह का बयान वायरल हो गया। इतना ही नहीं, दिग्विजय सिंह का बयान न सिर्फ वायरल हुआ, बल्कि उस पर अमित शाह ने जो जवाब दिया, वह लोगों के बीच ट्रेंड हो गया। मतलब साफ है कि यूएपीए बिल के तहत दिग्विजय सिंह और अमित शाह के बीच हुई बातचीत का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है, जिसमें बाद में दोनों हंसते हुए नज़र आ रहे हैं।
दिग्विजय सिंह ने क्या कहा?
गृहमंत्री अमित शाह ने यूएपीए बिल पर अपनी बात रख रहे थे, तभी दिग्विजय सिंह ने विरोध करते हुए कहा कि संसोधन से बीजेपी आतंकवाद से समझौता कर रही है, जोकि स्वीकार नहीं होगा। साथ ही दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस संसोधन से देश का नागरिक कमज़ोर हो जाएगा और आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा। इतना ही नहीं, दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि कांग्रेस हमेशा से ही आतंकवाद के खिलाफ रही, जिसकी वजह से यह बिल लाया गया, लेकिन बीजेपी संसोधन करके आतंकवादियों से समझौता कर रही है।
अमित शाह ने दिया ये जवाब
दिग्विजय सिंह की बात का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा दिग्विजय सिंह जी कह रहे हैं कि मुझे ही आतंकी घोषित कर दो… आपका गुस्सा जायज है, वे क्योंकि अभी-अभी चुनाव हारे हैं, लेकिन भरोसा रखिये यदि आप कुछ नहीं करेंगे, तो आपको कुछ नहीं होगा। मतलब साफ है कि इस बिल को पारित करने में बीजेपी को काफी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन अंत में जीत हुई और यह बिल पारित हो गया। हालांकि, इस बिल के पारित होने से ज्यादा दिग्विजय सिंह और अमित शाह के बीच हुई ये बातचीत वायरल हो रही है।
इस बिल में क्या हुआ संसोधन?
बताते चलें कि संशोधित बिल में सरकार ने गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल व्यक्ति विशेष को आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल किया है, जिसको लेकर ही संसद में विवाद चल रहा था। बता दें कि यह बिल पहले ही लोकसभा में पारित हो गया था और फिर राज्यसभा में थोड़ा विरोध होने के बाद सभी ने इसका समर्थन दिया, बस चंद सांसदो ने वॉकआउट किया। बता दें कि कांग्रेस इस बिल का विरोध कर रही थी, लेकिन बाद में समर्थन दिया।