कॉस्मोपोलिटेन सिटी डेल्ही में अरविंद केजरीवाल के अलावा एक और नेता हैं जो आए दिन सुर्ख़ियों में रहते हैं. नाम है – मनोज तिवारी ‘मृदुल’. कई-कई बार तो उनकी लीगेसी दिल्ली के मुख्यमंत्री को भी आउटपरफॉर्म कर जाती है, जैसा कि हालिया घटनाक्रम में हुआ.
हुआ ये कि दिल्ली में चल रही है सीलिंग. सालों से. इस सीलिंग को लेकर भाजपा, आम आदमी पार्टी को आम आदमी पार्टी भाजपा को और कांग्रेस दोनों को कोसती आ रही है.
दरअसल ये सभी पार्टियां जनता को संदेश देना चाहती हैं कि हम आपके सबसे बड़े या एक मात्र हितैषी हैं. लेकिन जनता को संदेश जाता है कि ‘ये सब मिले हुए हैं जी’.
ऐसा ही एक संदेश देने के लिए मनोज तिवारी ने रविवार को नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के गोकुलपुर इलाके में एक मकान की सीलिंग को हथौड़े से तोड़ दिया.
‘चेरी पिकिंग’ एक अंग्रेजी शब्द है जिसका मतलब होता है धरम पा जी की तरह ‘चुन-चुन कर मारना’.
सीलिंग तोड़ने का यही कारण मनोज तिवारी ने भी गिराया. उनके अनुसार दिल्ली में भेदभाव ढंग से सीलिंग हो रही है. कानून सबके साथ समान होना चाहिए.
उनके अनुसार जहां पर उन्होंने सीलिंग के ऊपर हथौड़ा चलाया वहां पर 5000 के लगभग घर हैं, लेकिन नोटिस केवल डेढ़ सौ लोगों को आया है. और कुछ गलियों में जाने के बाद उन्होंने देखा कि एक ही घर था जिसे सील किया हुआ है. और इसलिए सीलिंग तोड़ दी गई.
लेकिन इस पूरी प्रोसेस के दौरा भाजपा अध्यक्ष से एक गलती हो गई, वो ये कि उन्होंने कानून अपने हाथों में ले लिया. कानून कैसे अपने हाथों में लिया और इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं ये एक पुराने केस के माध्यम से समझा जा सकता है.
2004 में चल रही सीलिंग के दौरान भारतीय जनता पार्टी के विधायक और पूर्व मंत्री हरचरण सिंह बल्ली को भी सील तोड़ने का आरोपी पाया गया था. एक सब डिविजनल मैजिस्ट्रेट ने कोर्ट में शिकायत की कि हरचरण द्वारा एक संपत्ति को सील करने के प्रयास के दौरान उन्हें अपने सरकारी जिम्मेदारियों का पालन करने से रोका गया और उनके साथ हाथापाई भी की गई. हालाकिं 2008 में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था. लेकिन इससे पहले 10 अप्रैल, 2007 को कोर्ट ने सीलिंग तोड़ना कोर्ट की अवमानना माना था और हरचरण सिंह को दोषी ठहराते हुए तीन महीने की सज़ा सुनाई थी.
तो लब्बोलुआब ये कि हरचरण तो बच गए थे सबूतों के अभाव में, लेकिन मनोज तिवारी की फ़ोटोज़ और वीडियो तो पूरे सोशल मीडिया में वायरलिया चुकी हैं. जिसमें वो कोर्ट की अवमानना करते हुए, मने सीलिंग तोड़ते हुए साफ़ देखे जा सकते हैं.
इसी तरह दिल्ली सीलिंग की एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी की दादागिरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी. भाजपा पार्षद मुकेश सूर्यान ने भी सीलिंग के कार्य में व्यवधान डालने पर सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी. ये पिछले महीने (06 अगस्त, 2018) की बात है. कोर्ट ने माफ़ी तो दे दी लेकिन गुस्से में आकर ये भी कह दिया कि अगली बार ऐसी हरकत करने पर कोर्ट से सीधे तिहाड़ जेल भेज दिया जाएगा.
अवमानना की बात चली है तो एक इंपोर्टेंट बात – हिंदी के प्रमुख समाचार पत्र नवभारत टाइम्स के अनुसार मनोज तिवारी को इलाके में आयोजित एक कार्यक्रम में यह कहते हुए भी सुना गया था कि उनको कोर्ट की अवमानना से डर नहीं लगता.
होने को बाद में उन्होंने जस्टिफिकेश दिया कि कोर्ट खुद ही कहती है कि जहां कहीं गलत हो रहा हो उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाओ.
और अंततः दिल्ली के सरदार, यानी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने क्या कहा ये भी जान लिया जाना चाहिए. उन्होंने इस पूरी घटना को एक ‘नाटक’ बताया. नाटक जिसमें बीजेपी सुबह खुद सीलिंग करती है और शाम को तोड़ती है. सीलिंग को दो और मुद्दों के साथ जोड़कर ‘कॉम्बो पैक’ बनाते हुए केजरीवाल बोले – नोटबंदी, GST और अब सीलिंग करके भाजपा ने पूरी दिल्ली को बर्बाद कर दिया है.