देश के तमाम समलैंगिकों को उनका अधिकार मिल गया है। उनकी खुशी का को ठिकाना नहीं है। बता दें कि गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने देश के तमाम समलैंगिक लोगों को उनके संवैधानिक अधिकार दे दिए। इस फैसले में कोर्ट ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया। फैसले के बाद से ही समलैंगिक समुदाय में खुशी की लहर है। समलैंगिकता का प्रतीक इंद्रधनुषीय झंड़ा फैसले के बाद से ही सोशल मीडिया, इंटरनेट और सड़कों पर देखने को मिल रहा है। ये झंड़ा आमतौर पर समलैंगिक लोगों के हर फेस्टिवल, परेड और जश्न के दौरान देखने को मिलता है। समलैंगिक लोगों के इस इंद्रधनुषीय झंडे का आखिर मतलब क्या है और ये झंडा कैसे इन लोगों का प्रतीक बन गया? आईए जानते हैं...
ये झंड़ा सैन फ्रांसिस्को के कलाकार, सैनिक और समलैंगिक अधिकारों के पक्षधर गिल्बर्ट बेकर ने 1978 में डिजाइन किया था। 1974 में जब बेकर अमेरिकी राजनेता हार्वे मिल्क से मिले तो हार्वे ने ही उन्हें सैन फ्रांसिस्को के वार्षिक गौरव परेड के लिए इस तरह को झंड़ा तैयार करने को कहा था। हार्वे मिल्क अमेरिका के एक लोकप्रिय समलैंगिक आइकन थे। 2015 में मॉर्डन ऑर्ट म्यूजियम से अपने एक इंटरव्यू में बेकर ने कहा कि हार्वे से मिलने से पहले से ही वे समलैंगिक लोगों के लिए एक प्रतीकात्मक झंड़ा बनाने का सोच रहे थे, जो विशेषतौर पर अमेरिकी झंड़े की तरह दिखता हो। समलैंगिक झंड़े के अलग-अलग रंग अलग-अलग समुदायों के बीच की एकजुटता दिखाता है। इस झंड़े के हर रंग का अपना एक अगल मतलब होता है।
गुलाबी रंग- सेक्शुएलिटी, लाल रंग-ज़िंदगी, नारंगी रंग- इलाज, पीला रंग-सूरज की रोशिनी, हरा रंग- प्रकृति, नीला रंग- सौहार्द, बैंगनी रंग- व्यक्ति की आत्मा का प्रतीक. .लेकिन बाद में इस झंड़े में जरूरत के हिसाब से नए रंग जोड़े गए और पुराने रंगों को हटाया गया। 1978 में हार्वे मिल्क की मौत के बाद इस झंड़े के समलैंगिक समुदाय की पहचान बनाने की मांग की जाने लगी।
Source : Dainik savera times