पहले लोग अपनी बात रखने के लिए तर्क करते थे. लेक्चर दिया करते थे. सेमीनार किया करते थे. थीसिस देते थे और प्रैक्टिकल करते थे तब जाकर एक बात को प्रूव कर पाते थे. अब एक नया तरीका आया है जो सबसे बढ़िया है. सोशल मीडिया पर एक फोटो डालो. इस फोटो से मिलता-जुलता अपनी मर्जी का मेसेज लिखो और बस इंतजार करो. थोड़े टाइम में वो इतना वायरल हो जाएगा कि सारी पीएचडी धरी रह जाएगी.
ऐसे ही एक मेसेज आया है जो बता नहीं रहा बल्कि प्रूव कर रहा है कि बुर्का पहनने से छेड़छाड़ की घटनाओं में कमी आई है. पढ़िए ये मेसेज और इसके साथ आई फोटो और फिर जानेंगे इसकी सच्चाई-
पहले ये हिन्दू बहने बिना हिजाब के कावड़ यात्रा निकालती थी। लोग इनसे छेड़छाड़ किया करते थे। फिर इनको एक पर्दानशीं खातून ने कहा हिजाब पहन के यात्रा में जाया कीजिये आसानी होगी छेड़छाड़ से भी बच जाएंगी। हिन्दू बहनो ने पूछा हिजाब मिलेगा कहा खातून ने जमील की दुकान से सबको तीन तीन सौ वाले हिजाब दिलवा दिये। फिर इन हिन्दू बहनो ने वही हिजाब पहन के कावड़ यात्रा निकाली इनका कहना है छेड़छाड़ में काफी कमी आई है। ये फोटो उसी दौरान ली गई थी।
इस जानकारी को ज़्यादा से ज़्यादा शेयर करके दूसरे भाइयो तक पहुँचाये।
(नोट- हमेशा की तरह मेसेज की भाषा से कोई छेड़छाड़ नहीं की है. जैसा आया था वैसा आपके सामने है. वर्तनी और ग्रामर की गलती पर ध्यान न दें)
फेसबुक पर बुर्के के समर्थक इस पोस्ट को जमकर शेयर कर रहे हैं. जैसे छेड़छाड़ जैसी घटनाओं की रोकथाम का पक्का तरीका मिल गया हो.
अब इस फोटो की सच्चाई क्या है?
यह फोटो 2016 का है. मध्य प्रदेश के इंदौर में सावन महीने के लास्ट सोमवार के दिन कांवड़ यात्रा निकली. यह यात्रा मधुमिलन चौराहे से गीता भवन तक गई. इस कांवड़ यात्रा में हिंदुओं के अलावा मुस्लिम, सिख, ईसाई और पारसी समुदाय के लोग भी शामिल थे. इसमें मुस्लिम महिलाओं ने बुर्का पहन कर हिस्सा लिया था. मुस्लिम महिलाओं ने कांवड़ भी उठाई थी.
सभी धर्मों के लोगों ने सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए एक अच्छा कदम उठाया. लेकिन सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स ने इस मेसेज को अपने हिसाब से सर्कुलेट करना शुरू कर दिया. हमारी पड़ताल में यह फोटो तो सही निकला लेकिन जो मेसेज फैलाया जा रहा है वो गलत निकला.
Truth behind the viral photos of Muslim women wearing Burqa and bringing Kavad