चुनौतियों और मनुष्य को इस तरह समझा जा सकता है, कि जैसे हम एक चाकू हैं और चुनौतियां पत्थर हैं जो रोज चाकू को धार देती है। जितनी तेज धार होगी उतनी आसानी से हर चीज काटी जा सकती है। ठीक इसी तरह चुनौतियां भी मनुष्य की बुद्धि को धार देती हैं और हम हर परिस्थिति का मुकाबला डट कर करते हैं।