जीवन में होने वाली घटनाएं, परिस्थितियां हमारे भावों, विचारों को शब्दों में ढालकर, कविता संग्रह के रूप में मेरी एक छोटी सी कोशिश है जीवन कश्ती। पुस्तक के बारे में अपनी राय, समीक्षा देकर मेरा मार्गदर्शन करें। धन्यवाद 🙏
0.0(3)
बहुत अच्छा काव्य संग्रह
बहुत सुन्दर काव्य संकलन 👌👌✍️✍️✍️ आप सदा ऐसे ही लिखती रहें। बहुत-बहुत बधाई और ढेरों शुभकामनाएं 🙏🏻 🌹 🙏🏻
बहुत सुंदर काव्य रचनाएं है आपकी,गज़ल, गीत,कविता और मुक्तक का बहुत ही सुंदर संकलन है आपका।
14 फ़ॉलोअर्स
2 किताबें
<h6><em><strong>चलो बापू को पढ़ते हैं।</strong></em></h6> <h6><em><strong>एक दिन नहीं, नित्य ही</str
<p><em><strong>अमर</strong></em></p> <p><em><strong>जिसका सुहाग</strong></em></p> <p><em><strong>शही
विश्व जननी अंबिका माँ, दिव्य का भंडार हैभगवती के नाम सोलह, जप रहा संसार है।।प्राण भरती, प्यास हरती, सत्य का आधार हैक्षीणता को दूर करती, शक्ति का संचार है।।आदिशक्ति अराधना से, शक्ति का संचय करोचेतना का
<p><em><strong>दिल्ली में दहाड़े तिरंगा,सरहद पर महाकाल है।</strong></em></p> <p><em><strong>वीरों की
<p><em><strong>विश्वास</strong></em></p> <p><em><strong>रोशनी की कूंजी है </strong></em></p> <p
<p><em><strong><br> माँ मुझे पगडन्डी पे चलना सिखला दो,<br> मुझे जीवन का मतलब बतला दो,<br> कहती हो मे
<p><em><strong>एक दीप रोशनी से भरा, दसों दिशाँ प्रकाशित करे।</strong></em></p> <p><em><strong>हर्ष औ
<p><em><strong>हिंदी के साहित्य में, ज्ञान भरा संसार </strong></em></p> <p><em><strong>स्
<p><br></p> <p><em><strong>मैं कौन हूँ? मैं कौन हूँ? </strong></em></p> <p><em><strong>चंच
श्याम आते गोकुल में, धूम मची चारों ओर। बाबा झूलाये झुला, मैया खींचे डोर। चले गोकुल के धाम, मथुरा के घनश्याम झूमें नाचें गाएँ आज, आई है शुभ घड़ी पालना है चन्दन का,श्रृंगार हीरे मोती क
<p><em><strong>सावन आए बरखा लाए,</strong></em></p> <p><em><strong>सबके मन को खूब लुभाए।</strong></em
<p><em><strong>प्रभो करो ऐसी दया, जपूं राम ही राम।</strong></em></p> <p><em><strong>हो अगर कृपा आपकी
<p><em><strong>मत गंवा आज को सपनों में,</strong></em></p> <p><em><strong>कल रहता आज के कर्मों में,</
<p><em><strong>मत जइयो रजो</strong></em><em><strong><br> </strong></em><em><strong>राजनीति की गर्मी
<p><em><strong>सरहदें ये सरहदें, सरहदें हूं सरहदें</strong></em><em><strong><br> </strong></em><em><
<p><em><strong>युद्ध के मैदान हजारों<br> लाखों हैं सैनिक<br> हथियारों का है जखेड़ा<br> नीतियाँ है, दे
<p><em><strong>ओ मेघा काहे तू रूठे</strong></em><em><strong><br> </strong></em><em><strong>सूरज क्यो
<p><em><strong>चलो देश को राम बना लें!</strong></em></p> <p><em><strong>अपना-अपना भगवान बना लें।</st
<p><em><strong>मैं आज भी बंद खिड़की से देखती रही</strong></em><em><strong><br> </strong></em><em><st
<p><em><strong>श्रावण की शुक्ल पक्ष पंचमी </strong></em></p> <p><em><strong>"नाग पंचमी"</strong
<p><em><strong>धरती पर फैला हुआ, जलचर का संसार।</strong></em></p> <p><em><strong>सागर के भीतर
<p><em><strong>मां को परिभाषित कर सकूं<br> ऐसा कोई शब्द नहीं।<br> ना स्याही है ना कलम है<br> कोई काग
<p><em><strong>पिता धरती पर सूर्य का रूप हैं पिता </strong></em></p> <p><em><strong>छाँव ह
प्रेम नगर अति सांकरी, कौन चित्त समझाय जा बैठा चौराह पर, मुझको भी भरमाय।। सावन साजन बिन हिया,जैसे नीरव डाल पिया बिना जीवन भया, कुरकुस की हो छाल।। साजन आए भोर में, बनके पंक्षी भोर मन आंगन क
<p><em><strong>एक मदारी,</strong></em><em><strong><br> </strong></em><em><strong>बड़ा खिलाड़ी</strong
<p><em><strong>एक शिकारी बड़ा सयाना</strong></em></p> <p><em><strong>डाले भ्रम का दाना।</strong></em>
<p><em><strong>जब ताकत हाथ मिलाती है।</strong></em></p> <p><em><strong>जीवन को रोशन करती है।</strong
<p><em><strong>तेरी अम्मा, मेरी अम्मा,</strong></em></p> <p><em><strong>सबकी प्यारी-प्यारी अम्मा,</s
<p><em><strong>सच कहता हूँ, मैं दिल का बुरा नहीं हूँ।<br> हम दिल को, समझाते रहे;<br> जिन्दगी, हमें स
<p><em><strong><br> <br> हे शारदे मां<br> ज्ञान का प्रकाश दो<br> वरदान दो।<br> <br> हे ब्रह्म ज्ञानी
<p><em><strong>सरकार आपकी बेरूखी याद रखेंगे!<br> <br> हर कुर्बानी हर शहादत याद रखेंगे।<br> पुस की
<p><br></p> <p><em><strong>कैसी पहचान तुम्हारी, <br> कैसे तुम भारतवासी! <br> भेद भाव का चश्मा चढ़ाए,
<p><em><strong>कहते हो अपनी सोच बदल<br> खोट कहाँ है?<br> ये तो बता<br> तू अपनी नियत बदल।<br> तू भी इ
<p><em><strong>इश्क की चलो कोई रस्म हम निभाते हैं।</strong></em></p> <p><em><strong>सुर्ख सांझ साहिल
<p><em><strong>हवाएं घटाएं हमें ना सताते।<br> अगर चाय पर तुम हमें ना बुलाते।<br> <br> <br> तुम्हें द
<p><em><strong>हमसफर मेरे हमसफर।<br> साथ तेरा यूँ ही उम्र भर।<br> <br> तू आकाश नीला<br> मैं चंचल सी
कोई और रंग अब ज़्ज़ता ही नहीं है, रंग बसंती रंग में रंगरंग कर आया हूं, सांसों की जागीर नाम तेरे लिखकर, मैं केशरिया तिलक लगा कर आया हूं। मैया को यादों की, बाबा को जाड़े की, धूप मखमली
<p><em><strong>मैं सात समंदर<br> पार से, सब छोड़ के,<br> लौट आती हूँ; पास तेरे, ए वतन मेरे।<br> कुछ
<p><em><strong>चांद कटोरा, सपने बटोरा,<br> आंगन बैठा रे,<br> संग निदिया रानी तुझे बुलाए, <br> सो जा
<p><em><strong>नन्ही परी, गुड़ की डली,<br> चाशनी तू प्यार की।<br> रंगों भरी, नन्ही कली,<br> खुशियां
<p><em><strong>ना काटती हूं, ना जलाती हूं,<br> ना सुखाती हूं, ना मिटाती हूं,
<p><em><strong>तुझ बिन अधूरी है ख्वाहिशें<br> तुमसे मिलने कि है साजिशें<br> अब दिल मुझे मिलता ही नही
<p><em><strong>जिन्दगी के गीत गुनगुनाता चला गया</strong></em></p> <p><em><strong>हर रास्ते से हाथ मि
<p><em><strong>डम डम डमरू वाले,<br> मेरे श़म्भो भोले भाले,<br> हे! विश्वनाथ. कैलाशी,<br> भक्तों के त
<p><em><strong>ख्वाब मेरे आसमां तक यूं घुमाते हैं मुझे।<br> बादलों में बीजुरी जैसे छुपाते हैं मुझे।<
<p><em><strong>बादल और किसान गजब की यारी है।</strong></em></p> <p><em><strong>कभी दोस्ती तो दु
<p><em><strong>कहना और सुनाना क्या है।<br> गुज़रा दौर भुनाना क्या है।<br> <br> यूं गद्दी पर बैठे बैठ