आज भोरे जईसन खोली खिड़की देखा कलुआ की होत रही पिटाई,मारत रही पुलिस वाली अम्मा नीचे लेटा रहा कलुआ बनकर चटाई। बोलत रहा कलुआ "अम्मा अब न निकली बाहर कसम महरारू की," अम्मा न मानी बोली "हराम खोर त
तेरे ग़म उठाने के लिए जिये जा रहा हूँ,तेरे दिए इन ज़ख्मों को सिये जा रहा हूँ,यूँ तो ऐ ज़िंदगी तुझसे शिकवे थे हज़ारों,फ़िर भी मैं जीने का मज़ा लिये जा रहा हूँ।
"अब क्या होगा... क्या करूं , इनका अकेले मुक़ाबला करना सही रहेगा या इनके वार का इंतज़ार करूं .... बहुत जल्द ही ये और नज़दीक आ जाएंगे ... मेरे पास तो एक ही कुल्हाड़ी है," ये सारी बातें मेरे दिमाग़ में च
आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित हुई थी जब मैं अपनी
ये कहानी उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र के छोटे से गांव ज्योलिकोट की है । आप में से कम ही लोगों ने इसके बारे में सुना होगा,पर अगर आप ज्योलिकोट में सप्ताहांत में देखने की जगहें ढूंढे तो एक लंबी सी लिस्ट स
"मम्मा, मैं मैरी गो राउंड पर सवारी करना चाहती हूं", इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्डशायर के छोटे से गाँव किंगहम में मेले में अधीर होने के बाद एना रोते हुए बोली। "नहीं मेरे बच्ची... तुम उसके लिए बहुत छोटी ह