इस में शब्दकोश की तरफ से आने वाले दैनिक विषयों के ऊपर लेख, कविताएं या कहानियां लिखी जाती है जो समाज के वर्तमान को मध्य नजर रखते हुए रचित होती है।
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अहिंसा परमो धर्म अर्थात् अहिंसा ही परम धर्म है।मनुष्य की जिंदगी में सद्गुणों की पंक्ति में अहिंसा भी एक बहुत बड़ा गुण होता है जो मनुष्य को अपने जीवन में धारण करना चाहिए।वर्तमान की मनोदशा देखते ह
मनुष्य के जीवन में जिस प्रकार खाने-पीने की आवश्यकता होती है उसी प्रकार उसके जीवन में संस्कार और संस्कृति को जिंदा रखने के लिए कला की बहुत आवश्यकता है।कला मनुष्य की बहुत ही सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति
मनुष्य का जीवन ईश्वर की एक अदभुत कृति है जिसमें मनुष्य जन्म से लेकर मृत्यु तक विभिन्न तरह के काम करता है।प्राचीनकाल में मनुष्य का जीवन एक बहुत ही अच्छा जीवन था जिसमें वह शुद्ध खाना-पीना और शुद्ध विचार
मनुष्य के जीवन में कर्म और भाग्य एक दूसरे के पूरक हैं।कहते हैं किसी भी मनुष्य को उसके भाग्य से सब कुछ मिलता है लेकिन भाग्य का निर्माण करने वाला मनुष्य स्वयं होता है।यह कहावत तो आपने सुनी होगी कि मनुष्
यह मेरे जीवन की एक सच्ची घटना थी जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता हूं।नये जोश और नये उत्साह के साथ हम अपनी जिंदगी की सफलता के लिए मेहनत करने के पीछे पड़े हुए थे। हमें इस बात से बिलकुल भी निराशा नहीं थी कि ह
वर्तमान में डिजिटलीकरण दुनिया के हर देश में बहुत ही तीव्र गति से हो रहा है।दुनिया का हर देश इसके विकास के लिए बहुत प्रयास कर रहा है। वह चाहता है कि मेरे देश का हर नागरिक डिजीटलीकरण में भूमिका निभाये।इ
मनुष्य के जीवन जीने की कला बहुत ही बिगड़ती जा रही है।समय के साथ मनुष्य ने अपनी जीवन शैली को परिवर्तन कर गया है।आज से बीस साल पहले देखा जाये तो मनुष्य के जीवन की शैली बहुत शानदार थी।वह मेहनत करने का आद
मेरे घर के आंगन में, हंसती-खेलती सी घूमती थी।मेरे मन को देती अतीव खुशियां,उसकी हर मुस्कान एक संदेश देती थी।।उसने मांगा ना कभी कुछ मुझसे,अपनी जिंदगी के लिए।मुझे हर खुशी दी हर वक्त,मेरे हर सफर के ल
तुम अपनी सोच से कितने हीन हो?व्याकुल रहते हो बहुत जब जन बेटे विहीन हों?वधु चाहिए जैसे इन्द्र की हो परी।भ्रुण में बेटी देखकर तू डरी ।यह ना समझी तू मैं भी किसी की बेटी थी।आज मां तेरी सोचती,तेरे लिए यह द
हे मनुज! तू अपने आप में दुनिया के जन से श्रेष्ठ है।है असीम शक्ति तेरे अंदर पहचान इसको यथेष्ठ है।।जो किरदार निभा रहा जीवन का यह दुनिया से अलग है।तेरे अंदर की कलाकारी जो हर मानव से अलग है।।शौहरत और सीर
भारतीय नारी के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है। उसके लिए यह दिन एक सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक होता है। भारतीय नारी अपने पति को हमेशा परमेश्वर का रूप समझती है और इस दिन वह अपने पति
गगन के चमकते सितारे ,जो दुनिया में नाम कर गये।इंसानियत की बांटते सौगात,हर मनुष्य के दिल मे घर कर गये।कभी ना घमंड किया,धरा से उठकर गगन में उड़ गए।याद करेगी दुनिया सदैव उन्हें,हमें इतनी खुशियां दान कर ग
प्रेत और आत्मा का संबंध मनुष्य की अंतिम अवस्था से होता है। अर्थात सीधा सा अर्थ मृतात्मा को जिसका साक्षात या वास्तविक रूप में अस्तित्व खत्म हो चुका हो।मनुष्य के जीवन में जब अंतिम अवस्था आती है तो वह प्
जीवन के नए अहसास का , नया मेरा अंदाज था । मेरा कार्यदिवस का पहला दिन , मेरे लिए अति खास था । उम्मीदें थी मन मैं मेरे , कुछ अपने और देश को कर के दिखाऊँ । ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से , ज़िम्
मनुष्य की जिंदगी में आलस्य बढ़ रहा है,आनलाइन जीवन से हर जगह कदम थम रहा है।।अलग सा उत्साह और उमंग होती थी,जब बाजारों की ओर निकलते थे लोग।मिल जाते थे पुराने और नये दोस्त, प्रसन्न हो गले मिलते थे लो
मैं इस संभाल के रखूं।यह मेरे पूर्वजों का आशीर्वाद हैसात पीढ़ियों के सफर में,पीढ़ी दर पीढ़ी की विसात है।जन्म से मैं देखा और सीखा,भावनाओं के मंजर को।नही घौंपने दूंगा यहां पर ,दुर्गुणों के खंजर को।जिस वि
मुर्दें में सांसें आने लगती है,।सकारात्मक विचारों की अहमियत है।मनुष्य विचारों से चलता है।मनुष्य की सोच उसकी कीमत है।विचार ना होते जीवन में,असफल व्यक्ति कभी खड़ा नहीं होता।चुनौतियों से हार मानकर,जीवन म
वे यादें मैं अभी भूला नही,त्यौहारों की खुशियां महकती थी।एक खिलते हुए फूलों के बाग की तरहमन में जोश और उत्साह बन उबलती थी।।हर मनुज महीनों पहले रंग में रंग जाता,इंतजार में उसे बैचेनी सी रहती थी।जिनसे नह
कहीं भी कभी भी शिक्षा का यह विस्तार है।बिना किसी अडचन के मिले शिक्षा का यह सार है।।गम नहीं होता अगर होती है दूरस्थ शिक्षा।घर रहकर पढो पढ़कर करो उत्तीर्ण परीक्षा।।शिक्षा किसी तरह लो मनुष्य के जीवन की श
हर मनुष्य की जिंदगी में तम हो दूर ,हर घर में हो खुशियां भरपूर।सत्य, भाईचारा,अपनापन फैले हर तरफ,हर मनुष्य के चेहरे पर बिखरे नूर।।मिल-बांटकर खाने की प्रेरणा हमें देता है,तम में उजाला फैलाने का संद
बाहर के दीपों के सम , हम दिल में प्रेम के दीप जलाएं। जीवन का मिट जाये अंधकार, ज्ञान प्रकाश से हम जगमगाए।। द्वेष, दंभ,मद ,लोभ, मोह, क्रोध हो हमारे जीवन से दूर। प्रेम,समता,करूणा,दया, हमें मिले जीवन में
व्यसन है मनुज के दुर्गुण,जो मानव का नुक़सान करें।तन-मन विचलित करते हैं जन का,जीवन पथ में व्यवधान बनें।।गुटखा,बीड़ी और मदिरा,मानव का तन चूस रहे।टी.बी. कैंसर और सिलिकोसिस,बीमारी वरदान में दे रहे।।तन को
जहर घोल रहे हवा में,बढ़ते हुए उद्योग।बढ़ती जनसंख्या कर रही,अधिक वाहन का उपयोग ।।खुलेआम जल रही पराली,रोकथाम से डर नहीं लगता।हानिकारक धुंआ निकलकर ,प्रदूषण को न्यौता देता।।कूड़ेदान बने हैं फिर भी,खुलेआम
किसी भी चीज के दो पहलू होते हैं।एक अच्छा और एक बुराइस तरह सोशल मीडिया की बात करें तो वह समाज का धुर्वीकरण नहीं कर रहा है क्योंकि सोशल मीडिया के द्वारा एक शोषित आदमी,जाति या एक वर्ग की आवाज उसके
समाज के कुछ गद्दार यहां,झूठी खबरें बांट रहे।छुपे हुए हैं देश में दरिंदें,जो दीमक बनकर चाट रहे।।जाति, धर्म की आड़ में, लोगों को भ्रमित करते हैं।देश के सच्चे सपूत यहां,सीने की आग उगलते हैं।।आगे लगा देते
वंदन है कर जोड़ तुम्हें,नमन करूं हम शीश नवाएं नव जीवन में नव ऊर्जा,नई सुबह में निशदिन पाएं।।तन मन धन सब अर्पण कर,करूं अराधना निश्छल मन से।जीवन के सब द्वेष दूर हो,यही कामना स्वामी तुमसे।।तेजस्वी,
शुभकामनाएं है सभी को राष्ट्रीय एकता दिवस की।दुनिया सारी जानती है कहानी भारत के एकता यश की।।पंथनिरपेक्ष राज्य है हमारा,सभी धर्म समान यहां।विविधता में एकता है जानता है ये सारा जहां।।जाति धर्म का भेद भुल
जीवन के नए अहसास का , नया मेरा अंदाज था । मेरा कार्यदिवस का पहला दिन , मेरे लिए अति खास था । उम्मीदें थी मन मैं मेरे , कुछ अपने और देश को कर के दिखाऊँ । ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से , ज़िम्मेदारी प