बाहर के दीपों के सम ,
हम दिल में प्रेम के दीप जलाएं।
जीवन का मिट जाये अंधकार,
ज्ञान प्रकाश से हम जगमगाए।।
द्वेष, दंभ,मद ,लोभ, मोह,
क्रोध हो हमारे जीवन से दूर।
प्रेम,समता,करूणा,दया,
हमें मिले जीवन में भरपूर।।
सद्गुण जीवन के धन हो,
ईश्वर को अरदास सुनाएं।।।
दीन,हीन की भावनाओं को समझें,
उसके लिए हम बने सहारा।
जरूरतमंद के लिए दिल जगह बनाएं,
इस दिवाली का लक्ष्य यह हो हमारा,
हर आंगन खुशियों से भरा हो,
प्रेम रस घर-घर बरसाएं।।
रिश्तों की मिठास मिले सभी को,
हर मुंह पर हो मीठी बातें।
ऐसे बंधन हम क्यों ना निभाएं ,
जो हर दिन हो अमावस्या की जगमगाती रातें।।
अंधेरे घर में जा देखें हम पीड़ा,
उस पीड़ित के दर्द मिटाएं।।।
मिलकर हम हाथ से हाथ मिलाकर,
जुल्म, अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाएं।
रावण मारने के वजाय,
रावण हम चरित्र को हम जलाएं।।
हर दिन मिल-बांटकर खाएं,
हर दिन दीवाली मनाएं।।
गीत गुनगुनायें मानवता के,
पीडा समझे फुटपाथ चौराहों की।
शोषित जन का दर्द मिटा ना,
दोषी सजा ना झेले गुनाहों की।।
दीवाली पर प्रण करें हम,
दर्पण में स्वशक्ल देख परिवर्तन लाएं।।