यह मेरे जीवन की एक सच्ची घटना थी जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता हूं।
नये जोश और नये उत्साह के साथ हम अपनी जिंदगी की सफलता के लिए मेहनत करने के पीछे पड़े हुए थे। हमें इस बात से बिलकुल भी निराशा नहीं थी कि हम सफल नहीं हो पायेंगे क्योंकि हमारी मेहनत हमें आत्मविश्वासी बना देती है और उसके अनुसार हम अपने कदम बढ़ा रहे थे।
उस समय पढ़ाई का माहौल इतना गर्म था कि हर गांव और कस्बे में टोली की टोलियां बनाकर बच्चे पढ़ाई में लगे हुए थे।
हर तरफ तैयारियां इस तरह चल रही थी मानो किसी हर समय तीज त्यौहार की तैयारियां बड़े जो शोर पर चल रही हों।
इस समय हम परीक्षा देने के लिए नागपुर जाने वाले थे।
हम मन ही मन डरे हुए थे कि हमें न जाने किस तरह का माहौल मिलेगा। हम अभी तक इतनी दूर कहीं पर नहीं गये थे। ना रहने की सुविधा ना खाने का कोई प्रबंध।
इसके अलावा इतने दूर का सफर जिसमें हमें कितनी परेशानियां झेलनी पड़ेंगी।
हमारे माता-पिता भी इस बात से परेशान थे।
पता नहीं कैसे सफर कटेगा और मैं किस तरह पहुंच पायेगा इस बात की बड़ी चिंता थी।
हम शाम को घर से निकल गये थे। हमारे नजदीक के रेलवे स्टेशन से नागपुर के लिए सीधी ट्रेन नहीं थी इसलिए हमने वहां से मथुरा के लिए ट्रेन पकडी।
मथुरा पर जैसे ही मैं उतरा तो भीड़ को देखकर आश्चर्यचकित हो गया।
परीक्षा देने वालों की भीड़ डरा देने वाली थी। यहां से ट्रेन कुछ देर बाद आने वाली थी।
और इस समय रात का समय हो गया था इसलिए हमने रेलवे स्टेशन के बाहर जगह देखकर एक छोटे से पार्क में खाना खाने का निश्चय किया।
जब मैं वहां पर गया तो मुझे मेरा एक पुराना मित्र मिल गया । मैं उसे देखकर प्रसन्न हो गया क्योंकि वह मेरे साथ के लिए सपोर्ट हो गया।
अब मेरे मन के अंदर का डर खत्म हो गया और विश्वास हो गया कि मेरा सफ़र सही से कट जायेगा।
हम खाना-पीना खाकर वापस प्लेटफॉर्म पर आकर गाड़ी का इंतजार कर रहे थे।
लोगों की भीड़ देखकर थोड़ी सी हैरानी हो रही थी क्योंकि यहां पर पांच मिनट के लिए रूकेगी।
कहीं ऐसा ना हो कि अंदर घुसने के लिए जगह ही नहीं बचे।
ट्रेन आने बाद एकदम से लोग टूट पड़े कुछ बच्चे बहुत मशक्कत कर रहे थे।
मै और मेरा साथी बड़ी मुश्किल से अंदर की तरफ गये और वहां पर जाकर देखा तो बैठने के लिए कोई मौका ही नहीं था।
जैसे-तैसे करके हम खड़े होने के लिए जगह बना पाये थे।
अगले पांच मिनट पर ट्रेन चलने लगी हम लोगों ने देखा कि कुछ लोग अभी भी गेट पर लटके हुए हैं।
जैसे -तैसे परेशानी झेलकर हमने मथुरा से नागपुर का सफर तय कर लिया।
मेरे दोस्त के कुछ लोग वहां जानकार थे इसलिए हम लोग वहां जाकर रूक गये।
रात को खाना पीना खाकर हम सो गए हमें लगता तीस घंटे हो गये थे सफर करते हुए।
हमको बिस्तर पर पड़ते ही नींद आ गई।
हमें सुबह परीक्षा देने के लिए भी जाना था इसलिए हमें सोना भी जरूरी था।
सुबह जागकर हम अपने परीक्षा सेंटर पर पहुंचकर परीक्षा देकर वापस रेलवे स्टेशन पर आ गये।
हम दोनों दोस्त वापस रेलवे स्टेशन पर मिले ।
वहां से हमने मथुरा के लिए ट्रेन पकड़ी लेकिन इस ट्रेन का स्टोपेज मथुरा पर नहीं था।यह मथुरा पर न रूककर सीधे दिल्ली रुकने वाली थी।
एक बार हम कन्फ्यूजन में थे लेकिन उसके बाद ट्रेन काफी देर से थी इसलिए हमने उसी से चलने का फैसला किया।
दुसरी शाम जब ट्रेन मथुरा पहुंची तो हमें चिंता हो रही थी कि हमें दिल्ली से वापस आने में काफी समय लगेगा इसलिए यहां पर धीमी पड़ जाये तो उतर जाना चाहिए।
ट्रेन मथुरा प्लेटफॉर्म से निकलने वाली थी कि किसी ने उसको रोकने के लिए जंजीर खींच दी।
गाड़ी बहुत गति से चल रही थी काफ़ी समय के बाद वह धीमी गति में आई लेकिन ड्राइवर ने उसे रिसेट करके वापस गति बढ़ाना शुरू कर दी।
जब तक गति बढ़ती परीक्षा देने वाले बच्चे ट्रेन से कूदने लगे।
मेरे मित्र ने भी उतरने का प्लान बनाया मैं आज से पहले कभी भी चलती ट्रेन से नहीं उतरा था।
मुझे उतरने की हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन क्या करूं मेरे मित्र के उतरने के मूड की वजह से मेरा भी मन कर गया और मैं भी उतरने के लिए जल्दी से मित्र के पीछे हो लिया।
मेरा मित्र उतरकर आगे कि तरफ निकल गया लेकिन जैसे ही मैं उतरा मै गाड़ी की गति के साथ कुछ देर दौड़ा नहीं और वहीं पर गिर गया।
मै अंदर ही अंदर पूरी तरह घबरा गया था।
गिट्टियों में गिरते ही मेरा बैग भी नीचे गिरकर फट गया और सारा सामान बिखरा गया।
मेरे मित्र ने मुझे संभाला और जब मैं खड़ा हुआ तो मुझे मेरे हाथ पैरों में दर्द सा महसूस होने लगा।
मैंने लाइट की रोशनी में देखा तो मेरे चोट लग गई थी।
फिर मुझे पछतावा होने लगा कि मैं पीछे की जगह आगे हो जाता तो मैंने हाथ पैर काटने में देर नहीं लगती।
मैं जहां पर उतरा वहां पर कोई खंभा नहीं था यदि मैं खंभे से टकरा जाता तो मेरे सिर के परखच्चे उड़ जाते।
मै सोच-सोचकर बहुत पछता रहा था लेकिन अब पछताने से होगा भी क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
मैंने ईश्वर का लाख-लाख शुक्रिया किया उस दिन के बाद इस तरह की रिश्क लेना छोड़ दिया।
यह मेरे जीवन की सच्ची और सबसे पछतावे वाली घटना थी।