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जीवन की सबसे पछतावे वाली घटना

7 अक्टूबर 2022

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यह मेरे जीवन की एक सच्ची घटना थी जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता हूं।
नये जोश और नये उत्साह के साथ हम अपनी जिंदगी की सफलता के लिए मेहनत करने के पीछे पड़े हुए थे। हमें इस बात से बिलकुल भी निराशा नहीं थी कि हम सफल नहीं हो पायेंगे क्योंकि हमारी मेहनत हमें आत्मविश्वासी बना देती है और उसके अनुसार हम अपने कदम बढ़ा रहे थे।
उस समय पढ़ाई का माहौल इतना गर्म था कि हर गांव और कस्बे में टोली की टोलियां बनाकर बच्चे पढ़ाई में लगे हुए थे।
हर तरफ तैयारियां इस तरह चल रही थी मानो किसी हर समय तीज त्यौहार की तैयारियां बड़े जो शोर पर चल रही हों।
इस समय हम परीक्षा देने के लिए नागपुर जाने वाले थे।
हम मन ही मन डरे हुए थे कि हमें न जाने किस तरह का माहौल मिलेगा। हम अभी तक इतनी दूर कहीं पर नहीं गये थे। ना रहने की सुविधा ना खाने का कोई प्रबंध।
इसके अलावा इतने दूर का सफर जिसमें हमें कितनी परेशानियां झेलनी पड़ेंगी।
हमारे माता-पिता भी इस बात से परेशान थे।
पता नहीं कैसे सफर कटेगा और मैं किस तरह पहुंच पायेगा इस बात की बड़ी चिंता थी।
हम शाम को घर से निकल गये थे। हमारे नजदीक के रेलवे स्टेशन से नागपुर के लिए सीधी ट्रेन नहीं थी इसलिए हमने वहां से मथुरा के लिए ट्रेन पकडी।
मथुरा पर जैसे ही मैं उतरा तो भीड़ को देखकर आश्चर्यचकित हो गया।
परीक्षा देने वालों की भीड़ डरा देने वाली थी। यहां से ट्रेन कुछ देर बाद आने वाली थी।
और इस समय रात का समय हो गया था इसलिए हमने रेलवे स्टेशन के बाहर जगह देखकर एक छोटे से पार्क में खाना खाने का निश्चय किया।
जब मैं वहां पर गया तो मुझे मेरा एक पुराना मित्र मिल गया । मैं उसे देखकर प्रसन्न हो गया क्योंकि वह मेरे साथ के लिए सपोर्ट हो गया।
अब मेरे मन के अंदर का डर खत्म हो गया और विश्वास हो गया कि मेरा सफ़र सही से कट जायेगा।
हम खाना-पीना खाकर वापस प्लेटफॉर्म पर आकर गाड़ी का इंतजार कर रहे थे।
लोगों की भीड़  देखकर थोड़ी सी हैरानी हो रही थी क्योंकि यहां पर पांच मिनट के लिए रूकेगी।
कहीं ऐसा ना हो कि अंदर घुसने के लिए जगह ही नहीं बचे।
ट्रेन आने बाद एकदम से लोग टूट पड़े कुछ बच्चे बहुत मशक्कत कर रहे थे।
मै और मेरा साथी बड़ी मुश्किल से अंदर की तरफ गये और वहां पर जाकर देखा तो बैठने के लिए कोई मौका ही नहीं था।
जैसे-तैसे करके हम खड़े होने के लिए जगह बना पाये थे।
अगले पांच मिनट पर ट्रेन चलने लगी हम लोगों ने देखा कि कुछ लोग अभी भी गेट पर लटके हुए हैं।
जैसे -तैसे परेशानी झेलकर हमने मथुरा से नागपुर का सफर तय कर लिया।
मेरे दोस्त के कुछ लोग वहां जानकार थे इसलिए हम लोग वहां जाकर रूक गये।
रात को खाना पीना खाकर हम सो गए हमें लगता तीस घंटे हो गये थे सफर करते हुए।
 हमको बिस्तर पर पड़ते ही नींद आ गई।
हमें सुबह परीक्षा देने के लिए भी जाना था इसलिए हमें सोना भी जरूरी था।
सुबह जागकर हम अपने परीक्षा सेंटर पर पहुंचकर परीक्षा देकर वापस रेलवे स्टेशन पर आ गये।
हम दोनों दोस्त वापस रेलवे स्टेशन पर मिले ।
वहां से हमने मथुरा के लिए ट्रेन पकड़ी लेकिन इस ट्रेन का स्टोपेज मथुरा पर नहीं था।यह मथुरा पर न रूककर सीधे दिल्ली रुकने वाली थी।
एक बार हम कन्फ्यूजन में थे लेकिन उसके बाद ट्रेन काफी देर से थी इसलिए हमने उसी से चलने का फैसला किया।
दुसरी शाम जब ट्रेन मथुरा पहुंची तो हमें चिंता हो रही थी कि हमें दिल्ली से वापस आने में काफी समय लगेगा इसलिए यहां पर धीमी पड़ जाये तो उतर जाना चाहिए।
ट्रेन मथुरा प्लेटफॉर्म से निकलने वाली थी कि किसी ने उसको रोकने के लिए जंजीर खींच दी।
गाड़ी बहुत गति से चल रही थी काफ़ी समय के बाद वह धीमी गति में आई लेकिन ड्राइवर ने उसे रिसेट करके वापस गति बढ़ाना शुरू कर दी।
जब तक गति बढ़ती परीक्षा देने वाले बच्चे ट्रेन से कूदने लगे।
मेरे मित्र ने भी उतरने का प्लान बनाया मैं आज से पहले कभी भी चलती ट्रेन से नहीं उतरा था।
मुझे उतरने की हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन क्या करूं मेरे मित्र के उतरने के मूड की वजह से मेरा भी मन कर गया और मैं भी उतरने के लिए जल्दी से मित्र के पीछे हो लिया।
मेरा मित्र उतरकर आगे कि तरफ निकल गया लेकिन जैसे ही मैं उतरा मै गाड़ी की गति के साथ कुछ देर दौड़ा नहीं और वहीं पर गिर गया। 
मै अंदर ही अंदर पूरी तरह घबरा गया था।
गिट्टियों में गिरते ही मेरा बैग भी नीचे गिरकर फट गया और सारा सामान बिखरा गया।
मेरे मित्र ने मुझे संभाला और जब मैं खड़ा हुआ तो मुझे मेरे हाथ पैरों में दर्द सा महसूस होने लगा।
मैंने लाइट की रोशनी में देखा तो मेरे चोट लग गई थी।
फिर मुझे पछतावा होने लगा कि मैं पीछे की जगह आगे हो जाता तो मैंने हाथ पैर काटने में देर नहीं लगती।
मैं जहां पर उतरा वहां पर कोई खंभा नहीं था यदि मैं खंभे से टकरा जाता तो मेरे सिर के परखच्चे उड़ जाते।
मै सोच-सोचकर बहुत पछता रहा था लेकिन अब पछताने से होगा भी क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
मैंने ईश्वर का लाख-लाख शुक्रिया किया उस दिन के बाद इस तरह की रिश्क लेना छोड़ दिया।
यह मेरे जीवन की सच्ची और सबसे पछतावे वाली घटना थी।



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रचनाएँ
दैनिक प्रतियोगिता अक्टूबर 2022
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इस में शब्दकोश की तरफ से आने वाले दैनिक विषयों के ऊपर लेख, कविताएं या कहानियां लिखी जाती है जो समाज के वर्तमान को मध्य नजर रखते हुए रचित होती है।
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अहिंसा परमो धर्म

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कला चिकित्सा और उसके लाभ

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दैनिक जीवन की सामान्य गलतियां

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वर्तमान में डिजिटलीकरण दुनिया के हर देश में बहुत ही तीव्र गति से हो रहा है।दुनिया का हर देश इसके विकास के लिए बहुत प्रयास कर रहा है। वह चाहता है कि मेरे देश का हर नागरिक डिजीटलीकरण में भूमिका निभाये।इ

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आधुनिक जीवनशैली

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मेरे आंगन की शोभा है बेटियां

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मेरे घर के आंगन में, हंसती-खेलती सी घूमती थी।मेरे मन को देती अतीव खुशियां,उसकी हर मुस्कान एक संदेश देती थी।।उसने मांगा ना कभी कुछ मुझसे,अपनी जिंदगी के लिए।मुझे हर खुशी दी हर वक्त,मेरे हर सफर के ल

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लैंगिक सशक्तिकरण

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तुम अपनी सोच से कितने हीन हो?व्याकुल रहते हो बहुत जब जन बेटे विहीन हों?वधु चाहिए जैसे इन्द्र की हो परी।भ्रुण में बेटी देखकर तू डरी ।यह ना समझी तू मैं भी किसी की बेटी थी।आज मां तेरी सोचती,तेरे लिए यह द

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तेरे अंदर का कलाकार

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हे मनुज! तू अपने आप में दुनिया के जन से श्रेष्ठ है।है असीम शक्ति तेरे अंदर पहचान इसको यथेष्ठ है।।जो किरदार निभा रहा जीवन का यह दुनिया से‌ अलग है।तेरे अंदर की कलाकारी जो हर मानव से अलग है।।शौहरत और सीर

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करवा चौथ

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भारतीय नारी के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है। उसके लिए यह दिन एक सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक होता है। भारतीय नारी अपने पति को हमेशा परमेश्वर का रूप समझती है और इस दिन वह अपने पति

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डाॅ ए पी जे अब्दुल कलाम

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गगन के चमकते सितारे ,जो दुनिया में नाम कर गये।इंसानियत की बांटते सौगात,हर मनुष्य के दिल मे घर कर गये।कभी ना घमंड किया,धरा से उठकर गगन में उड़ गए।याद करेगी दुनिया सदैव उन्हें,हमें इतनी खुशियां दान कर ग

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प्रेत और आत्मा का संबंध मनुष्य की अंतिम अवस्था से होता है। अर्थात सीधा सा अर्थ मृतात्मा को जिसका साक्षात या वास्तविक रूप में अस्तित्व खत्म हो चुका हो।मनुष्य के जीवन में जब अंतिम अवस्था आती है तो वह प्

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मेरा पहला दिन

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जीवन के नए अहसास का , नया मेरा अंदाज था ।  मेरा कार्यदिवस का पहला दिन , मेरे लिए अति खास था ।  उम्मीदें थी मन मैं  मेरे , कुछ अपने और देश को कर के दिखाऊँ । ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से , ज़िम्

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आनलाइन शॉपिंग बनाम पारंपरिक खरीददारी

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मनुष्य की जिंदगी में आलस्य बढ़ रहा है,आनलाइन जीवन से हर जगह कदम थम रहा है।।अलग सा उत्साह और उमंग होती थी,जब बाजारों की ओर निकलते थे लोग।मिल जाते थे पुराने और नये दोस्त, प्रसन्न हो गले मिलते थे लो

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मैं इस संभाल के रखूं।यह मेरे पूर्वजों का आशीर्वाद हैसात पीढ़ियों के सफर में,पीढ़ी दर पीढ़ी की विसात है।जन्म से मैं देखा और सीखा,भावनाओं के मंजर को।नही घौंपने दूंगा यहां पर ,दुर्गुणों के खंजर को।जिस वि

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20 अक्टूबर 2022
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मुर्दें में सांसें आने लगती है,।सकारात्मक विचारों की अहमियत है।मनुष्य विचारों से चलता है।मनुष्य की सोच उसकी कीमत है।विचार ना होते जीवन में,असफल व्यक्ति कभी खड़ा नहीं होता।चुनौतियों से हार मानकर,जीवन म

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त्यौहारों की अविस्मरणीय यादें

21 अक्टूबर 2022
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वे यादें मैं अभी भूला नही,त्यौहारों की खुशियां महकती थी।एक खिलते हुए फूलों के बाग की तरहमन में जोश और उत्साह बन उबलती थी।।हर मनुज महीनों पहले रंग में रंग जाता,इंतजार में उसे बैचेनी सी रहती थी।जिनसे नह

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दूरस्थ शिक्षा

22 अक्टूबर 2022
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कहीं भी कभी भी शिक्षा का यह विस्तार है।बिना किसी अडचन के मिले शिक्षा का यह सार है।।गम नहीं होता अगर होती है दूरस्थ शिक्षा।घर रहकर पढो पढ़कर करो उत्तीर्ण परीक्षा।।शिक्षा किसी तरह लो मनुष्य के जीवन की श

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दीपोत्सव

23 अक्टूबर 2022
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हर मनुष्य की जिंदगी में तम हो दूर ,हर घर में हो खुशियां भरपूर।सत्य, भाईचारा,अपनापन फैले हर तरफ,हर मनुष्य के चेहरे पर बिखरे नूर।।मिल-बांटकर खाने की प्रेरणा हमें देता है,तम में उजाला फैलाने का संद

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आओ हम दीवाली मनाएं

24 अक्टूबर 2022
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बाहर के दीपों के सम , हम दिल में प्रेम के दीप जलाएं। जीवन का मिट जाये अंधकार, ज्ञान प्रकाश से हम जगमगाए।। द्वेष, दंभ,मद ,लोभ, मोह, क्रोध हो हमारे जीवन से दूर। प्रेम,समता,करूणा,दया, हमें मिले जीवन में

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व्यसन

25 अक्टूबर 2022
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व्यसन है मनुज के दुर्गुण,जो मानव का नुक़सान करें।तन-मन विचलित करते हैं जन का,जीवन पथ में व्यवधान बनें।।गुटखा,बीड़ी और मदिरा,मानव का तन चूस रहे।टी.बी. कैंसर और सिलिकोसिस,बीमारी वरदान में दे रहे।।तन को

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भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण

26 अक्टूबर 2022
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जहर घोल रहे हवा में,बढ़ते हुए उद्योग।बढ़ती जनसंख्या कर रही,अधिक वाहन का उपयोग ।।खुलेआम जल रही पराली,रोकथाम से डर नहीं लगता।हानिकारक धुंआ निकलकर ,प्रदूषण को न्यौता देता।।कूड़ेदान बने हैं फिर भी,खुलेआम

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क्या सोशल मीडिया समाज का धुर्वीकरण कर रहा है

27 अक्टूबर 2022
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किसी भी चीज के दो पहलू होते हैं।एक अच्छा और एक बुराइस तरह सोशल मीडिया की बात करें तो वह समाज का धुर्वीकरण नहीं कर रहा है क्योंकि सोशल मीडिया के द्वारा एक शोषित आदमी,जाति या एक वर्ग की आवाज उसके

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भ्रामक खबरें:-समाज के लिए जहर

29 अक्टूबर 2022
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समाज के कुछ गद्दार यहां,झूठी खबरें बांट रहे।छुपे हुए हैं देश में दरिंदें,जो दीमक बनकर चाट रहे।।जाति, धर्म की आड़ में, लोगों को भ्रमित करते हैं।देश के सच्चे सपूत यहां,सीने की आग उगलते हैं।।आगे लगा देते

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सूर्य की उपासना

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वंदन है कर जोड़ तुम्हें,नमन करूं हम शीश नवाएं नव जीवन में नव ऊर्जा,नई सुबह में निशदिन पाएं।।तन मन धन सब अर्पण कर,करूं अराधना निश्छल मन से।जीवन के सब द्वेष दूर हो,यही कामना स्वामी तुमसे।।तेजस्वी,

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राष्ट्रीय एकता दिवस

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शुभकामनाएं है सभी को राष्ट्रीय एकता दिवस की।दुनिया सारी जानती है कहानी भारत के एकता यश की।।पंथनिरपेक्ष राज्य है हमारा,सभी धर्म समान यहां।विविधता में एकता है जानता है ये सारा जहां।।जाति धर्म का भेद भुल

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मेरा पहला दिन

9 नवम्बर 2022
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