दाम्पत्य जीवन में प्राय: पारिवारिक विवादों के कैक्टस: स्वत: ही उग जाते हैं। कभी मां बेटे के कान भरती है, तो कभी बेटी मां के कान भरती है। आस पास पड़ोस में रहने वाली औरतें भी सास से बहु को सिर पर न चढ़ाने की सलाह देती रहती हैं। कभी नंद-भाभी तो कभी देवरानी-जेठानी आदि रिश्तों को कहीं न कहीं थोड़ी बहुत खटास आ ही जाती है। परिवार मेें यहां मिठास होती है वहां थोड़ी बहुत खटास होना कोई बड़ी बात नहीं है परंतु इस खटास को यदि हम स्थायी रूप देदे तो परिवार टूटने की नौबत आ जाती है। परिवार में स्थायी मिठास या मधुरता लाने के लिए सकारात्मक सोच रखना या होना जरूरी है।
परिवार में सास-बहु का रिश्ता हमारे सामाजिक जीवन का सबसे बड़ा और संवेदनशील विवाद है। इस पूरे विवाद का कारण परस्पर में समन्वय और समझ का न होना है। यदि बहू थोड़े-से विवेक और समझ से काम ले, तो वह सास की खास बन सकती है। वहीं दूसरी ओर सास भी यदि उसी स्रेह और प्रेम से बहू को अपनाती है, तो वह भी बहु का मन जीत सकती है लेकिन आज के दौर में अधिकांश परिवार में शीत युद्ध के लक्षण प्राय: देखे जा सकते हैं।
आपने देखा होगा या महसूस करा होगा कि कई घरों में जब सुबह-सुबह ही जब बहु मूंह फुलाकर सिर दर्द का बहाना बना कर या किसी भी अन्य कारण से रसोई घर से दूर-दूर रहे, बच्चों को अकारण ही मारे-पीटे, उन पर चिलाएं या जोर जोर बर्तन की आवाज करें देर तक बिना नहाय या बाल बिखरे रहे तो समझ लीजिए कि परिवार में शीतयुद्ध का वातावरण निर्मित हो रहा है। इस शीत युद्ध को आप सीरियस न लेकर उसे अपने स्तर पर सुलझाने की कोशिश करें न की उसे और बढ़ाने की कोशिश लगे। यदि आप सास हो तो बहु बेटे को अकेले होने या घूमने का अवसर दें। यदि बहु प्रतिभावन है तो उसकी प्रशंसा करें उसकी व्यावाहरिक सोच की प्रशंसा करें। क्योंकि बहु होती है जिसका रिश्ता बाकी रिश्तों से नाजुक होता है। बहु को कोई छोटी मोटी सजा न दें क्योंकि बहु को दी हूई सजा आपके बेटे द्वारा आपको ही मिलेगी। कहने का तात्पर्य बस इतना है कि बहु की गलती की सजा उसके साथ-साथ आप और अन्य लोगों को भी बांटना चाहिए। जिससे बहु अपराधभाव से ग्रसत न हो।
परिवार के विवाद के निपटारे के लिए आपका निष्पक्ष होना जरूरी है। परिवार में अपने संबंध सभी से मधुर बनाएं। घर में परिवार के सभी सदस्य बहू का मान-सम्मान करें। जिससे परिवार का विवाद संवाद में परिवर्तित हो।