अकेला पन को ईश्वरीय वरदान समझे, न की कोई अभिशाप ! ईश्वरीय ज्योति पुंज मानव ! तू अकेला चल …
महान व्यक्ति सदैव अकेले चलते आये हैं इस अकेले पन को अपने लक्ष्य को पूरा करने में लगा दे। सकारात्मक रवैया अपनाते हुए जिंदगी की महत्ता समझ इसका एक-एक क्षण भरपूर जिएँ, सदैव यही याद रखें कि दुनिया में अकेले आए थे, अकेले ही जाना है, कोई साथ नहीं रहता, संग नहीं जाता। इसलिए यह मलाल तो कभी रखना ही नहीं चाहिए कि हम अकेले रहकर क्या कर सकते हैं। जितना व्यक्ति अपने आपको जानता-पहचानता है, उतना कोई और नहीं। अतः अपनी कमियों व अच्छाइयों दोनों को ही मद्देनजर रखते हुए जो भी थोड़ी-बहुत अच्छाइयाँ हैं, उन्हीं के बलबूते किसी भी क्षेत्र में धैर्य व तल्लीनता के साथ सोच-समझकर कुछ भी अर्थपूर्ण व उपयोगी कार्य करने की पहल करें।
तुम अपनी पहचान बना लो महान व्यक्तियों ने इस अकेले पन को कमजोरी नहीं ताकत के रूप में चुना हैं । संसार के महत्तम कार्य सम्पन्न किये हैं , उन्हें एकमात्र अपनी ही प्रेरणा प्राप्त हुई हैं ।दुसरो से दुःख मिटने की उन्होंने कभी आशा नहीं रखी । मानव अकेले ही अपनी यात्रा सफल करता हैं सफल होने के बाद भीड़ तो अपने आप ही उसके आगे -पीछे भागती हैं यदि वो भीड़ में शामिल होकर रहना चाहेगे तो सफल नहीं हो पाएंगे.