किसी समय स्वर-कोकिला लता दी और सुर-उस्ताद आशा ताई के एक छत्र गीत-संसार में
अनुराधा पौडवाल, अल्का याग्निक, कविता कृष्णमूर्ति, साधना सरगम के अलावा जिन
गायिकाओं ने अपनी प्रतिभा से पहचान बनाई, उनमें हेमलता का नाम भी शामिल है | 16 अगस्त 1954 को भारत के हैदराबाद शहर में
जन्मी लता भट्ट, जी हाँ यह हेमलता जी के बचपन का नाम है ने संगीत की विधिवत साधना कोलकाता
शहर में की | उल्लेखनीय है कि 1977 की फिल्म चितचोर के
गीत ‘तू जो मेरे सुर में’ के लिए हेमलता को फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ
पार्श्वगायिका का पुरस्कार हासिल हो चुका है जबकि फिल्म फकीरा के गीत ‘सुनके तेरी
पुकार’, फिल्म अंखियों के झरोखों से के शीर्षक गीत, फिल्म सुनयना के गीत ‘मेघा रे
ओ मेघा’ तथा फिल्म आप तो ऐसे न थे के गीत ‘तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है’
के लिए वो फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका पुरस्कार हेतु नामांकित हो चुकी
हैं | ज्ञातव्य है कि हेमलता के करियर को बनाने में संगीतकार रविन्द्र जैन का खास
योगदान रहा है | आज भी हेमलता द्वारा फिल्म दुल्हन वही जो पिया मन भाये का ‘ले तो
आये हो हमें’, फिल्म अंखियों के झरोखों से के शीर्षक गीत और ‘एक दिन तुम बहुत’,
फिल्म नदिया के पार के गीत ‘कौन दिसा में’, ‘जब तक पूरे ना हों’, ‘जोगी जी धीरे-धीरे’
और ‘गूंजा रे चन्दन’ जैसे गाये गीत लोगों के बीच खासा लोकप्रिय हैं |