भारतीय
सिनेमा की सबसे सुरीली एवं प्रतिभाशाली पार्श्व-गायिकाओं में शुमार की जाने वाली
प्रख्यात गायिका “अनुराधा पौडवाल” ९० के दशक की “मेलोडी क्वीन” के रूप में जानी
जाती हैं | कर्नाटक के उत्तर-कन्नड़ के कारवाड़ शहर में २७ अक्तूबर, १९५२ को जन्मी
अनुराधा के बचपन का नाम था- अलका नन्दकरणी, जो बाद में मराठी के प्रसिद्ध संगीतकार
जोड़ी अमर मोहिले-अरुण पौडवाल के अरुण पौडवाल से विवाह के पश्चात फ़िल्मी संगीत में
अनुराधा पौडवाल के नाम से लोकप्रिय हुआ | अनुराधा पौडवाल के पति अरुण पौडवाल
प्रख्यात संगीतकार सचिन देव बर्मन (एस. डी. बर्मन) के म्यूजिक अरेंजर थे | अनुराधा
को बचपन से ही गायन का बहुत शौक था | वो सुर-साम्राज्ञी “लता दीदी (लता मंगेशकर)” को
अपना आदर्श मानते हुए उन्हें सुन-सुनकर सीखती और अपने गायन का निरंतर रियाज़ करती
रहीं | अनुराधा पौडवाल ने अपने फ़िल्मी गायन की शुरुआत सचिन देव बर्मन के
संगीत-निर्देशन और अमिताभ बच्चन-जया भादुडी के अविस्मरणीय अभिनय से सजी सन १९७३ की
बेहद सफल एवं चर्चित फिल्म “अभिमान” में संस्कृत के एक श्लोक को गाकर किया | हालाँकि
इसी वर्ष अनुराधा ने मराठी फिल्म “यशोदा” से अपने फ़िल्मी गायन की विधिवत शुरुआत की
| उल्लेखनीय है कि उन दिनों अनुराधा
जी द्वारा गाये मराठी गीतों से सजा नान-फ़िल्मी अलबम “भावगीतं” महाराष्ट्र में बहुत
अधिक लोकप्रिय हुआ था ।
हिंदी
फिल्मों में अनुराधा जी के गाने की शुरुआत हुई सन १९७६ में सुभाष घई के निर्देशन,
शत्रुघ्न सिन्हा-रीना रॉय के अभिनय तथा प्रसिद्ध संगीतकार जोड़ी कल्याण जी-आनंद जी
के संगीत से सजी हिट हिंदी फिल्म “कालीचरण” से, हालाँकि अनुराधा पौडवाल को एकल
गायन का पहला मौका शशि कपूर-हेमामालिनी की फिल्म “आपबीती” से मिला जिसके संगीतकार
थे, हिंदी सिनेमा के बेहद लोकप्रिय संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल | इस बीच
अनुराधा जी ने अत्यंत गुणी संगीतकार जयदेव के संगीत-निर्देशन में फिल्म “दूरियां”
के बेहद चर्चित गीतों “ज़िन्दगी में जब तुम्हारे” तथा “ज़िन्दगी-ज़िंदगी मेरे घर आना”
एवं इन्हीं के संगीत निर्देशन में “लैला-मजनूं” फिल्म, महिला संगीतकार उषा खन्ना
के संगीत से सजी फिल्म “सौतन” में गायक किशोर कुमार के साथ “ये जो हल्का-हल्का
शुरूर” जैसा हिट गीत तथा “साजन बिना सुहागन” फिल्म में गायक के. यसुदास के साथ “मधुबन
खुशबू देता है” जैसा कालजयी गीत गाया | इसके साथ ही यद्यपि संगीतकार राजेश रोशन के संगीत
में फिल्म “उधार का सिन्दूर” एवं कल्याणजी-आनंदजी के साथ “कलाकार” तथा “विधाता” जैसी
फिल्मों में भी अनुराधा जी ने बहुत सारे गाने गाये लेकिन अनुराधा पौडवाल को व्यापक
लोकप्रियता और पुख्ता पहचान मिली सुभाष घई की जैकी श्राफ-मीनाक्षी शेषाद्री अभिनीत
तथा लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के सुपरहिट संगीत से सजी सन १९८३ की सुपरहिट फिल्म “हीरो” से, जिसमें गाये उनके गीत “तू मेरा हीरो है” और “डिंग-डांग ओ बेबी सिंग सांग” ने धूम मचा दिया और अनुराधा पौडवाल
जी को लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंचा दिया | हीरो
फिल्म के गीत “तू मेरा हीरो है” के लिए अनुराधा जी को प्रतिष्ठित फिल्मफेयर-१९८४
पुरस्कारों में सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का नामांकन भी हासिल हुआ हालाँकि इससे पूर्व
फिल्मफेयर-१९८३ में शबाना आजमी और परवीन बॉबी की फिल्म “यह नजदीकियां” के गीत “मैंने एक गीत लिखा है” के लिए उनको अपना पहला नामिनेशन या
नामांकन मिल चुका था जिसके संगीतकार थे रघुनाथ सेठ, जिनके संगीत में दीप्ती नवल की
फिल्म “एक बार फिर” का गीत “ये पौधे-ये पत्ते” आज भी संगीत-प्रेमिओं की जुबां पर
है | इस कड़ी में हृषिकेश
मुख़र्जी द्वारा निर्देशित तथा परवीन बॉबी, दीप्ती नवल, अमोल पालेकर और उत्पल दत्त
अभिनीत फिल्म “रंग-बिरंगी” का गीतकार योगेश द्वारा लिखा और राहुल देव बर्मन (आर.
डी. बर्मन) द्वारा संगीत दिया हुआ आरती मुख़र्जी के साथ अनुराधा जी द्वारा गाये
युगल गीत “कभी कुछ पल जीवन के” का
ज़िक्र भी जरुरी है, जो बेहद अर्थपूर्ण एक सदाबहार गीत है ।
यूं तो अनुराधा पौडवाल जी ने कभी शास्त्रीय गायिकी का का कोई विधिवत प्रशिक्षण
नहीं लिया लेकिन उनकी आवाज
को हर विधा में पारंगत करने में संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने विशेष
योगदान दिया, जिनके संगीत-निर्देशन में उन्होंने एक से बढ़कर एक बेहतरीन गीत गाये, जिनमें रेखा अभिनीत फिल्म “उत्सव”
के गीत “मेरे मन बाजा मृदंग” के लिए अनुराधा पौडवाल को फिल्मफेयर-१९८६ की
सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका का प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल हुआ | लक्ष्मी-प्यारे की
जोड़ी में अनुराधा जी ने फिल्म “मेरी जंग” में “ओ मेरे ख्वाबों के”, फिल्म “बंटवारा”
में अलका याग्निक-कविता कृष्णमूर्ति के साथ “थारे वास्ते रे ढोला”, फिल्म “नगीना”
के “भूली-बिसरी एक कहानी” एवं “तूने बेचैन इतना ज्यादा किया”, फिल्म राम-लखन के “तेरा
नाम लिया” (फिल्मफेयर नामांकन) एव “बेकदर-बेखबर-बेवफा बालमा” (फिल्मफेयर नामांकन)
तथा तेज़ाब फिल्म के “कह दो कि तुम” (फिल्मफेयर नामांकन) तथा “तुमको हम दिलबर क्यों
माने” जैसे हिट, शानदार, जानदार एवं सदाबहार गीत गाये | इस बीच फिल्म “बीस साल बाद”
के “हम तुम्हे इतना प्यार करेंगे”, फिल्म “जनम-जनम” के शीर्षक गीत, फिल्म प्रेमगीत
के “देख लो आवाज देकर”, फिल्म “मरते दम तक” के शीर्षक गीत, फिल्म “जानी दुश्मन” के
“ओ मेरी जान”, फिल्म “आवारगी” के “मुजरे वाली हूँ”, फिल्म “दूध का कर्ज” के “शुरू
हो रही है” एवं “तुम्हें दिल से कैसे”, फिल्म “तेरी मेहरबानियाँ” के “दिल बेक़रार
था”, फिल्म “जवाब हम देंगे” के “हैरान हूँ मै आपकी”, फिल्म “कर्मा” के “मैंने रब
से तुझे”, फिल्म “गवाही” के “देख
के तुमको क्या होता है”, फिल्म “अमृत” के “और नहीं कुछ तुमसे कहना”, फिल्म “थानेदार”
के “तम्मा तम्मा लोगे”, फिल्म “बीबी हो तो ऐसी” के “फूल गुलाब का” तथा “फिल्म “दयावान”
के “आज फिर तुमपे प्यार आया है” जैसे हिट गीतों से अनुराधा पौडवाल ने अपनी गायन
प्रतिभा का लोहा मनवाया ।
अनुराधा
पौडवाल जी के जीवन में स्वर्णिम काल लाने का श्रेय टी-सीरीज के मालिक गुलशन कुमार
जी को भी जाता है, जिनकी फिल्मों और अलबमों, भजन तथा ग़ज़ल संग्रहों में अनुराधा ने
एक से बढ़कर एक सुपर-डुपर हिट गाने गाये | अनुराधा पौडवाल एकमात्र गायिका रहीं हैं,
जिन्हें स्थापित कलाकारों से अधिक लोगों ने टी. वी., विडियो, अलबमों तथा कैसेट्स
के कवर पर देखा और सराहा | टी-सीरीज ने लोगों के घरों-घरों में अनुराधा पौडवाल का
नाम मशहूर कर दिया | ९० के इसी दौर में अनुराधा जी ने फिल्म “आशिकी” के गीत “नज़र
के सामने” के लिए फिल्मफेयर-१९९१, फिल्म “दिल है कि मानता नहीं” के “शीर्षक गीत”
के लिए फिल्मफेयर-१९९२ और फिल्म “बेटा” के “धक-धक करने लगा” के लिए फिल्मफेयर-१९९३
का लगातार ३ वर्षों का सर्वश्रेष्ठ पार्श्व-गायिका का अवार्ड हासिल किया | इस बीच
फिल्म “दिल” के “मुझे नींद न आये” और फिल्म “साजन” के गीत “बहुत प्यार करते हैं”
को फिल्मफेयर पुरस्कारों में नामांकित भी किया गया | ९० के इस दशक में अनुराधा
पौडवाल के बेमिसाल बेहद सुरीले गीत सुनने को मिले जिनमें कई फिल्मों मसलन “लाल
दुपट्टा मलमल का”, “आई मिलन की रात”, “जंगल-लव”, “बहार आने तक”, “फूल और कांटे”, “जूनून”,
“जीना तेरी गली में”, “नागमणि” के गानों और अलबम “यादों का मौसम” के गीतों ने
अनुराधा पौडवाल को ९० के दशक की “मेलोडी क्वीन” का खिताब सहज ही दिला दिया ।
हालाँकि
इस बीच अनुराधा पौडवाल के साथ बहुत सारे विवाद भी जुड़े लेकिन अनुराधा सफलता के
नित-नए कीर्तिमान स्थापित करती गईं | काबिलेगौर है कि अपने पति अरुण पौडवाल के
संगीत में उन्होंने “मीरा का मोहन” हिंदी फिल्म में “तूने प्रीत जो मुझे जोड़ी”, “रब
जैसा रूप तुम्हारा” जैसे हिट गीतों को गाया | बाद में अनुराधा ने संगीतकार शिव-हरि
के संगीत में फिल्म “साहिबां” के “कैसे जीऊंगा मैं”, राजेश रोशन के संगीत में
फिल्म “दाग-द फायर” में “दिल दीवाना न जाने कब”, “पिया लागी लगन” “परदेसिया इतना
बता सजना”, अनु मलिक के संगीत में फिल्म “हम आपके दिल में रहते हैं” के “शीर्षक
गीत”, “जरा आँखों में काजल”, “जहां बहता है गंगा”, फिल्म “बादल” के “जुगनी-जुगनी”,
फिल्म “मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी” के “पैदल चल रहा हूँ”, फिल्म “मर्डर” के “ज़िंदगी
इस तरह से”, फिल्म “कलयुग” के “तेरी इस बात ने” तथा फिल्म “पाप” के “इंतज़ार इंतज़ार”,
संजीव-दर्शन के संगीत में फिल्म “मन” के “चाहा है तुझको”, नुसरत फ़तेह अली खान के संगीत
में फिल्म “और प्यार हो गया” के “कोई जाने कोई न जाने”, अदनान सामी के संगीत में
फिल्म “लकी-नो टाइम फॉर लव” के “आके भर लो बाजुओं में”, नदीम-श्रवण के संगीत में फिल्म
“सिर्फ तुम” का “शीर्षक गीत”, दिलीप सेन-समीर सेन के संगीत में फिल्म “इतिहास” के “दिल
की कलम से” एवं “ये इश्क बड़ा बेदर्दी है”, जतिन-ललित के संगीत में फिल्म “प्यार
किया तो डरना क्या” के “तुझे प्यार है मुझसे”, आदेश श्रीवास्तव के संगीत में फिल्म
“मेजर साब” के “प्यार किया तो निभाना”, हिमेश रेशमिया के संगीत में फिल्म “जूली”
के “हम तुमसे दिल लगा बैठे” तथा निखिल-विनय के संगीत में फिल्म “तुम बिन” के “छोटी
छोटी रातें”, “तुम्हारे सिवा”, फिल्म “मुस्कान” के “वो हो तुम” तथा फिल्म “हम
तुम्हारे हैं सनम” का “शीर्षक गीत” एवं “खोये-खोये दिन हैं” जैसे सुपर हिट गीतों
को अपनी सुमधुर आवाज से जीवंत कर दिया | इस कड़ी में म्यूजिक के मोजार्ट ए. आर.
रहमान के संग अनुराधा जी के गाये फिल्म “पुकार” के “किस्मत से तुम” तथा फिल्म “डोली
सजा के रखना” के “किस्सा हम लिखेंगे” जैसे उम्दा गीतों का उल्लेख भी अत्यंत
महत्वपूर्ण है ।
धार्मिक
किताबों के श्लोकों, भजनों को भी अनुराधा जी ने घर-घर में लोकप्रिय बनाया |
सुबह-सुबह घरों, मंदिरों या धार्मिक आयोजनों में अनुराधाजी के गाये धार्मिक गीत मन
को आत्मिक शांति से भर देते हैं | ऐसे गीतों में “आरती कुंज बिहारी की”, “आके तेरे
भवन”, “आउंगी आउंगी मै”, “जय अम्बे गौरी”, “जय जय जय मां जगदम्बे मां”, “शिव-शंकर
को जिसने पूजा”, “मै तो शिव की पुजारन बनूंगी”, “मैया तेरी पायल बोले”, “नवरात्री
के नव दिन आये” इत्यादि प्रमुख रूप से शामिल हैं | अनुराधा जी ने हिंदी में करीब
१५०० से भी अधिक गीतों को अपने सुरीली आवाज दी, वहीं हिंदी के अलावा कन्नड़, तमिल,
तेलगु, उड़िया, असमिया, भोजपुरी, मैथिली, पंजाबी, गुजराती, संस्कृत, पहाडी, बंगाली,
नेपाली तथा मराठी में भी गीतों के अनमोल खजाने संगीत के दीवानों के लिए संजोया |
उल्लेखनीय है कि मराठी फिल्म “कलात नकलात” के गीत “है एक रेशमी” के लिए अनुराधा
पौडवाल को सन १९८९ में प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ
पार्श्व-गायिका के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया ।
वास्तव
में, स्वर-साम्राज्ञी “लता दीदी” तथा “आशा ताई” के एक-छत्र संगीत साम्राज्य में
अपनी विशिष्ट गायन शैली और सुरीली आवाज के कारण बिना संगीत की औपचारिक शिक्षा के
अनुराधा पौडवाल ने जो संगीत में अपना अलग मुकाम बनाया है, निःसंदेह वह गायिकी के
क्षेत्र में कदम रखने वालों के लिए प्रेरणादाई और अनुकरणीय है | अनुराधा जी आज भी
सुर-साधना में लीन हैं और भजन गायिकी को आज भी एक नया आयाम दे रही हैं | कहना गलत
नहीं होगा कि स्वरों की मलिका “लता मंगेशकर” की गायन शैली और विधा में अनुराधा
पौडवाल ने वह स्थान बना लिया है, जहां तक पहुँचना किसी के लिए भी आसान नहीं है |
अनुराधा पौडवाल जी के गीत बेहद सहज, सामान्य तथा अत्यंत मधुर हैं | यह अनुराधा जी ही
की खासियत है कि जिन नायिकाओं के लिए उन्होंने गाया वह अनुराधा जी के कारण याद रखे
जाते हैं न कि उस नायिका के लिए | दीप्ती नवल, नीतू सिंह, परवीन बॉबी से लेकर पूजा
भट्ट, अनु अग्रवाल, स्नेह उल्लाल, मधु, सोनाली बेंद्रे, ट्विंकल खन्ना, महिमा चौधरी
के साथ ही अनुराधा जी ने रेखा, शर्मीला टैगोर, हेमामालिनी, जूही चावला, काजोल, रानी
मुखर्जी, ऐश्वर्या रॉय, श्रीदेवी तक को अपनी ख़ूबसूरत आवाज दी | माधुरी दीक्षित के
लिए तो अनुराधा पौडवाल ने इतने अच्छे मेलोडी गीत गाये कि माधुरी दीक्षित की आवाज
के लिए अनुराधा जी की ही विशेष मांग होती थी, इसका प्रमाण है अनुराधा पौडवाल का
माधुरी दीक्षित के लिए गाया गाना “धक-धक करने लगा”, जिसके कारण आज भी माधुरी
दीक्षित को लोग बॉलीवुड की “धक-धक गर्ल” कहते हैं | निश्चित रूप से संगीत के
क्षेत्र में युगों-युगों तक अनुराधा पौडवाल के सुमधुर तराने गूंजते रहेंगे और उनका
अविस्मरणीय योगदान स्वर्णाक्षरों में अंकित होगा ।
अनुराधा
पौडवाल जी के शुभ जन्म-दिवस पर “शब्दनगरी” आज उन्हें हार्दिक शुभ-कामनाएं देता है
और ईश्वर से प्रार्थना करता है की वो सदा यूं ही स्वस्थ, सुखी एवं दीर्घायु रहें
तथा संगीत-प्रेमियों को अपनी सुरीली-सुमधुर आवाज का तोहफा देती रहें....
अनुराधा
पौडवाल को उनके जन्मदिन पर आपकी शुभकामनाओं तथा बधाई संदेशों का “शब्दनगरी” स्वागत
करता है.....