6 जनवरी, 1967 को तमिलनाडु राज्य के चेन्नई में
जन्मे अल्लाह रक्खा रहमान यानि ए. आर. रहमान हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध सदाबहार
संगीतकारों में से एक हैं जिन्होंने भारतीय फिल्म संगीत को विश्व भर में पुख्ता
पहचान दिलाने में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है| म्यूजिक के इस मास्टरमाइंड का
पूर्व में नाम ए. एस. दिलीप कुमार था जो इस्लाम धर्म अपनाने के बाद बदलकर ए. आर. रहमान
हो गया| 1991 में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया था। 1992
में उन्हें फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम ने अपनी फिल्म रोज़ा में संगीत देने का न्यौता
दिया। यह फिल्म म्यूजिकल हिट रही और अपनी पहली फिल्म में ही रहमान को बेस्ट
म्यूजिक के लिए फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार प्राप्त हुआ| फिर तो इस पुरस्कार के साथ शुरू हुआ रहमान को मिलने वाले विभिन्न प्रतिष्ठित पुरस्कारों
का यह सिलसिला बदस्तूर आज तक जारी है। गौरतलब है कि पद्मश्री रहमान के गानों की
200 करोड़ से भी अधिक रिकॉर्डिग बिक चुकी हैं। आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक
कंपोजर्स में से एक में गिने जाते हैं। रोज़ा, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, डोली सजा के रखना, ताल, जींस, 1947-अर्थ, पुकार, फिजा, लगान, मंगल पांडे, मीनाक्षी, तक्षक, हमसे है मुकाबला, स्वदेस, साथिया, जुबेदा, युवा, नायक, दिल्ली-6, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, गुरु, स्लमडॉग मिलेनियर, गजनी, जब तक है जान, रॉकस्टार, रांझणा, हाइवे, तमाशा जैसी फिल्मों में दिया रहमान का संगीत आज भी श्रोताओं के सिर
चढ़कर बोलता है| ज्ञात हो कि देश की आजादी की 50वीं
वर्षगाँठ पर 1997 में रहमान द्वारा बनाया म्यूजिक एल्बम "वंदे मातरम्" भी
जबर्दस्त सफल रहा था। सुरों के सरताज रहमान ने हिंदी के अलावा अन्य कई भाषाओं की
फिल्मों में भी बहुत लोकप्रिय संगीत दिया है। संगीत के अपने मौलिक फन की बदौलत ही प्रतिष्ठित
टाइम्स पत्रिका ने रहमान को “मोजार्ट ऑफ मद्रास” की उपाधि से भी नवाजा है| उल्लेखनीय
है कि रहमान को उनके उत्कृष्ट संगीत हेतु 2 आस्कर या एकेडमी, 2 ग्रैमी, 1 बाफ्टा, 1 गोल्डन ग्लोब, 4 राष्ट्रीय पुरस्कार, 15 फिल्मफेयर, 13 फिल्मफेयर-साऊथ अवार्ड्स हासिल हो चुके हैं| संगीत के इस सच्चे साधक को उनके जन्म-दिवस
पर हमारी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं......