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90 साल के हुए संगीतकार ‘खय्याम’, जन्मदिन पर दान की करोड़ों की प्रॉपर्टी

18 फरवरी 2016

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हिंदी सिनेमा के प्रख्यात संगीतकार मोहम्मद जहूर ‘खय्याम’ आज 90 साल के हो गए हैं। अपने जन्मदिन पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने एलान किया कि वे अपनी 12 करोड़ की प्रॉपर्टी दान कर रहे हैं। इससे नए संगीतकारों को मदद मुहैया कराई जाएगी। दान से जुड़े ट्रस्ट से विभिन्न हस्तियों को भी जोड़ा जाएगा| 18 फ़रवरी, 1927 को जालंधर में जन्मे खय्याम बचपन में दिल्ली चले आए थे। ऐसा उन्होंने इसलिए किया था, क्योंकि उनके परिवार को संगीत के लिए उनका जुनून मंजूर नहीं था। इसके बाद वे बाबा चिश्ती से संगीत सीखने के लिए लाहौर गए। उन्होंने पंडित अमरनाथ से भी संगीत की तालीम ली। 1943 में वे आर्मी में शामिल हुए। वहां फैज अहमद फैज के कल्चरल ट्रूप में शामिल हुए। वॉर के बाद फिल्मों में काम करने की चाहत के साथ मुंबई के लिए रवाना हो गए। गौरतलब है कि एक इंटरव्यू में खय्याम ने बताया था कि वो कैसे बचपन में छिप-छिपाकर फिल्में देखा करते थे| इसी कारण उनकी फैमिली ने उन्हें घर से निकाल दिया था। खय्याम अपने करियर की शुरुआत एक्टिंग से करना चाहते थे, लेकिन फिर म्यूजिक की ओर उनका झुकाव हो गया। खय्याम ने पहली बार 'हीर रांझा' में संगीत दिया। पर पहचान मिली मोहम्मद रफी के गीत 'अकेले में वह घबराते तो होंगे' से। 'शोला और शबनम' ने उन्हें बतौर संगीतकार स्थापित कियाहिंदी फिल्मों के दिग्गज संगीतकारों में से एक खय्याम ने अपनी फैमिली के साथ केक काटा। बताया जा रहा है कि उनकी पत्नी जगजीत कौर एक ट्रस्ट (केपीजी) बनाएंगी और उसी के जरिए बॉलीवुड के नए म्यूजिशियंस और सिंगर्स के लिए मदद मुहैया कराएंगी। ज्ञातव्य है कि 'उमराव जान', 'बाजार', 'कभी-कभी', 'नूरी', 'त्रिशूल' जैसी फिल्मों में खय्याम का संगीत बेहद हिट हुआ


पुरस्कार:

१९७७ - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार : कभी-कभी

१९८२ - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार : उमराव जान

२००७ - संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

२०११ - पद्म भूषण

नामांकन:

१९८० - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार : नूरी

१९८१ - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार : थोड़ी सी बेवफाई

१९८२ - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार : बाजा़र

१९८४ - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार : रज़िया सुल्तान

   
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रचनाएँ
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15 अप्रैल 1922 को जयपुर में जन्मेहिंदी सिनेमा के जाने-माने गीतकार हसरत जयपुरी का जन्म नाम था इकबाल हुसैन| 1940में जयपुरी साहब मुंबई आये| शुरुआत में 11 रुपये मासिक पर बसकंडक्टर का काम किया| एक मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर जी ने उन्हें नोटिस किया औरराज कपूर को उनका नाम सुझाया| फिर राज कपूर के कारण 1949

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कहीं दूर जब और ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय जैसे गीतों के शब्दकार योगेश को जन्मदिन की शुभकामनायें

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16 अप्रैल 1943 को लखनऊ में जन्मे गुणी गीतकार योगेश गौड अपने सुन्दर प्रवाहमय अर्थपूर्णगीतों के लिए जाने जाते हैं| 1971 की कालजयी फिल्म आनंदके गीत कहीं दूर जब दिन ढल जाए और ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय को भला कौन भूल सकताहै| हिंदी सिनेमा के ये उम्दा गीत हैं| फिल्म रजनीगंधा का गीत रजनीगंधा फूलतुम्हारे महक

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