16 अप्रैल 1943 को लखनऊ में जन्मे गुणी गीतकार योगेश गौड अपने सुन्दर प्रवाहमय अर्थपूर्ण
गीतों के लिए जाने जाते हैं| 1971 की कालजयी फिल्म आनंद
के गीत कहीं दूर जब दिन ढल जाए और ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय को भला कौन भूल सकता
है| हिंदी सिनेमा के ये उम्दा गीत हैं| फिल्म रजनीगंधा का गीत रजनीगंधा फूल
तुम्हारे महके यूं ही जीवन में और कई बार यूं ही देखा है ये जो मन की सीमा रेखा
है, फिल्म बातों बातों में का गीत न बोले तुम ना मैंने कुछ कहा और फिल्म मंजिल का
गीत रिमझिम गिरे सावन सुलग सुलग जाए मन जैसे गीत गीतकार योगेश को एक अलग गीतकार की
पंक्ति में खड़ा करते हैं| फिल्म मिली, छोटी सी बात, प्रियतमा जैसी फिल्मों में भी
उनके गीत बेहद सराहे गए| आए तुम याद मुझे,गाने लगी हर धडकन, बडी सूनी-सूनी है
ज़िंदगी, यह ज़िंदगी, मैने कहा फूलों से, तो वह खिलखिला के हंस दिए , ना जाने क्यूं होता है, यह ज़िंदगी के साथ जैसे गीतों को जन्म देने वाले गुणी गीतकार योगेश जी को उनके
जन्मदिन पर हमारी हार्दिक शुभकामनाएं...