15 अप्रैल 1922 को जयपुर में जन्मे
हिंदी सिनेमा के जाने-माने गीतकार हसरत जयपुरी का जन्म नाम था इकबाल हुसैन| 1940
में जयपुरी साहब मुंबई आये| शुरुआत में 11 रुपये मासिक पर बस
कंडक्टर का काम किया| एक मुशायरे में पृथ्वीराज कपूर जी ने उन्हें नोटिस किया और
राज कपूर को उनका नाम सुझाया| फिर राज कपूर के कारण 1949 की बेहद सफल फिल्म बरसात
में शंकर-जयकिशन के संगीत-निर्देशन में हसरत जयपुरी का पहला गीत जिया बेकरार है
रिकॉर्ड हुआ| यह गीत बेहद हिट हुआ और आज भी लोकप्रिय है| इसके बाद तो हसरत जयपुरी
साहब गीतकार शैलेन्द्र के साथ राज कपूर और शंकर-जयकिशन टीम के स्थाई सदस्य बन गए| गौरतलब है कि फिल्म सूरज के गीत बहारों फूल
बरसाओ के लिए हसरत जी को 1966 का और अंदाज़ फिल्म के गीत ज़िंदगी एक सफ़र है सुहाना
के लिए उन्हें 1972 का फिल्मफेयर का बेस्ट लिरिसिस्ट के दो अवार्ड हासिल हुए| फिल्म ससुराल का गीत
तेरी प्यारी प्यारी सूरत को, फिल्म सेहरा का गीत पंख होते तो उड़ आती रे, फिल्म गीत
गाया पत्थरों ने का गीत तेरे ख्यालों में हम, फिल्म जंगली का गीत अहसान तेरा होगा
मुझ पर, फिल्म लव इन टोकियो का गीत शायोनारा शायोनारा, फिल्म भूत बंगला का गीत आओ
ट्विस्ट करें, फिल्म साँझ और सवेरा का गीत अजहु ना आये बालमा, फिल्म तीसरी कसम का
गीत दुनिया बनाने वाले, फिल्म राम तेरी गंगा मैली का गीत सुन साहिबा सुन, फिल्म
प्रिंस का गीत बदन पे सितारे लपेटे हुए, फिल्म संगम का गीत ये मेरा प्रेम पत्र
पढ़कर और मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं
जैसे बेमिसाल एवं सदाबहार गीतों की झड़ी लगा देने वाले शब्दों के ये शिल्पकार 17
सितम्बर 1999 को इस जिस्मानी दुनिया से रुखसत हो गए लेकिन फिल्म पगला कहीं का में
लिखे अपने गीत तुम मुझे यूं भूला ना पाओगे के जरिये वास्तव में इसे चरितार्थ कर गए|
हसरत जयपुरी हमारी यादों में हमेशा अमर रहेंगे! उनकी जयंती पर हमारी भावभीनी
आदरांजलि!!!