Deepak Kumar
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Assistant professor in FIITJEE
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दीपक खुद से जलाना ही होगा
सूरज तो निकलेगा ही, तपन संग दमकेगा ही, छांव छोड़ बाहर आना ही होगा, तपिश उसका सहना ही होगा। रास्ते पथरीली मिलेंगे ही, कंकड़ सुई सा चुभेंगे ही, उबड़ खाबड़ राह पर चलना ही होगा, कदम आगे बढ़ाना ही होगा। मुश्किलें सफर में मिलेंगे ही, पसीना तो तन से बहें
दीपक खुद से जलाना ही होगा
सूरज तो निकलेगा ही, तपन संग दमकेगा ही, छांव छोड़ बाहर आना ही होगा, तपिश उसका सहना ही होगा। रास्ते पथरीली मिलेंगे ही, कंकड़ सुई सा चुभेंगे ही, उबड़ खाबड़ राह पर चलना ही होगा, कदम आगे बढ़ाना ही होगा। मुश्किलें सफर में मिलेंगे ही, पसीना तो तन से बहें