किसने तोड़ा किसने निभाया; काश पता चल जाता,
झूठी उंगली उठती नहीं ; न ही लगते झूठे दाग,
जो अपनत्व मापने का कुछ जुगाड़ रहा होता,
काश होता एक यंत्र जो भावनाओं को माप लेता।
आग जैसा रिश्ता निभा; कौन सर्वस्व मिटा रहा,
रिश्तों की अग्नि में जल; कौन पावन होता जा रहा,
बह रही आंसू घड़ियाल; या फिर सच में बिलख रहा,
काश होता एक यंत्र जो भावनाओं को माप लेता।
वाणी बोल मिठी मिठी; कौन बाण चला रहा,
कड़वे बोल कर भी; कौन राह सच दिखा रहा,
दुध का दुध, पानी का पानी वह कर देता,
काश होता एक यंत्र जो भावनाओं को माप लेता
जुड़ाव मन से है या; लगाव स्वार्थवश दिख रहा,
छल कपट हृदयी या; रोम रोम स्नेह से भरा,
क्षणभर में व्यक्ति परिचय हमारे सम्मुख होता,
काश होता एक यंत्र जो भावनाओं को माप लेता।