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एक आन्दोलन हो जन जन मेंशिक्षा घर घर पहुंचाने को, मात्र यही उपाय इस जगत मेंहर शूल-बाधा मिटाने को।।
चांदनी चंद्रमा की देखी हैदेखा है सूरज को दमकते,मेघ गरजते बरसते देखा हैदेखा नदियों को निश्चल बहते।तारों को टिमटिमाते देखा हैदेखा पवन उमंग संग बहते,पक्षियों के कलरव देखा हैदेखा वन्यप्राणी खेलते कूदते।फू
किसने तोड़ा किसने निभाया; काश पता चल जाता,झूठी उंगली उठती नहीं ; न ही लगते झूठे दाग,जो अपनत्व मापने का कुछ जुगाड़ रहा होता,काश होता एक यंत्र जो भावनाओं को माप लेता।आग जैसा रिश्ता निभा; कौन सर्वस्व