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दलित वादी लेखको की झूठी कल्पना

15 मार्च 2015

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इतिहास की पोथिया कुरदे तो पता चलता है कि हर जाति पर समय समय पर अत्याचार हुए है | लेकिन दलित व्यक्तियों पर जो अत्याचार हुए वो इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्यूंकि अन्य लोगो पर अत्यचार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा हुए लेकिन दलितों पर अत्याचार अपने ही लोगो अपने ही देश के लोगो के कारण हुए , लेकिन आज कल एक तनावपूर्ण , कुंठित मासिकता से त्रस्त दलितवादी लेखक देखे जा रहे है | जो अपनी ही कल्पना अनुसार आरोप प्रत्यारोप करते है , हम जातिवाद आदि छोटी सोच के खिलाफ है लेकिन जानबूझ धर्म ,संस्कृति ,महापुरुषों ,देवो को का अपमान ओर झूटी झूटी कहानिया बना कर मजाक बनाना बिलकुल ही गलत ओर मुर्खता पूर्ण है | ये क्यूँ होता है कारण बताया जाता है जातिवाद के विरोध में लेकिन जब इस तरह की पुस्तक पढ़ी जाती है तो पता चलता है कि इसमें विरोध ओर क्रान्ति बिलकुल नही बल्कि कुंठित मानसिकता ,नफरत , बदला लेने की भावना नज़र आती है तो कुछ अपने राजनेतिक स्वार्थ के लिए ऐसा करते है ताकि आपस में नफरत रहे ओर वोट मिलते रहे | यहा मै कुछ दलित वादी लेखको की पुस्तको के कुछ अंश बताऊंगा जिसमे उन्होंने किस तरह कल्पित आक्षेप किये है - लेखक स्वपन कुमार जी अपनी पुस्तक “भारत के मूल निवासी ओर आर्य आक्रमण” नाम की पुस्तक के 60 वे पेज पर ॠग्वेद के 1/103/7 वे मंत्र का अर्थ करके लिखा है-” इंद्र को रात के अंधकार मे गौशाला की रस्सी खोलकर गौ चोरी करते हुए देखा गया है।” यह मंत्र यह है-” तदिन्द्र प्रेव वीर्य चकर्थ् यत्ससन्त वज्रेणबोधयोSहिम । अनुत्वा पत्नीर्ह्रशिंत वयश्च विश्वे देवासो अमदन्ननु त्वा॥ पाठक गण जरा ध्यान दे कि इस मंत्र मे कही भी गौ,गौशाला,अथवा रस्सी तक का नाम नही है। तब स्वपन कुमार जी ने इंद्र को गाय चोरी करते हुए क्या स्वपन मे देखा था। स्वपनकुमार ,आर के आकोदिया जैसे परजीवी लेखको ने लाल भुजक्कड जैसी कई कल्पनाए की है:- - जैमिनी पूर्व मीमासा के 32 वे सूत्र का अर्थ करते है-: “………कम्बल और खडाऊ पहने एक बूढा खडा है ओर आशीष के गीत गुनन गुना रहा है………समर्पण को तत्यपर एक ब्राह्मणी कहती है ” है राजन बता प्रतिपदा के दिन मैथुन का क्या अर्थ है अथवा क्या गौ ने इस बली का उत्सव मनाया ?” (हिंदु धर्म की विडम्बनाये पृष्ठ 108 आर के आकोदिया) पाठकगण ध्यान दे कि यह सूत्र है- ” कृते वा विनियोग: स्यात कर्मण: सम्बधात ॥ 1/32 “ जिसका अर्थ है- पूर्व पक्ष की निर्वत्ति मे दोष नही है,कर्म मे विनियोग संबंध होगा कर्म के साथ संबंध होने से। अब बताए अकोदिया जी को कंबल,खडाउ,बूढा,ब्राह्मणी,गौ,मैथुन ये शब्द कहा दिखे। यही महाश्य इसी पुस्तक के पृष्ठ 107 पर लिखते है कि ” न्याय दर्शन के प्रेरणता ॠषि गौतम वेद को प्रमाणिक नही मानते है क्युकि इनमे मिथ्यावाद है।परन्तु हमे लगता है इनहोने न्याय दर्शन की शक्ल तक नही देखी होगी- ” न्याय दर्शन का सूत्र 2/1/68 देखे- ” मंत्रायुर्वेदप्रामाण्यवच्च तत्प्रामाण्यमाप्तप्रामाण्यात्॥” मंत्र प्रामाण्य,आयुर्वेद प्रामाण्य के समान ओर वेद का प्रमाण्य है,आप्त प्रमाण्य से।”-यहा तो वेद प्रमाण सिध्द होता है आप कहा भटक रहे हो। ” मनु किसानो का ओर शौषितो का नेता था। अग्नि बलासुर का पुत्र ओर मित्र व वरुण भारत के मूल निवासी थे” देवताओ ने रिश्वत देकर इनहे आपस मे लडाया,देवराज इंद्र ने भारत पर आक्रमण किया”( भारत के मूल निवासी व आर्य आक्रमण पृ 61 व 62)” पाठक गण ध्यान देखे। कितनी मनोरंजन बात है, कभी मनु को गालिया कभी मूल निवासी। इस तरह आपने देखा और इस तरह की कई बातें इन दलित विचारक लेखको की पुस्तको और पत्रिकाओं में मिल जायेंगी ..जिनका भ्न्दफोदना भी आवश्यक है लेकिन विचार ये है क्या इन झूटी कहानियो से ये जातिवाद मिटा पायेंगे या आपस में ही और ज्यादा नफरत को बढ़ावा देंगे ..... हालकि दलित वादी लेखक खुद को नास्तिक बताते है बताते है एक अन्धविश्वासी आस्तिक से एक नास्तिक १०० गुना अच्छा है लेकिन नास्तिकता बुद्ध जेसी हो क्यूंकि यदि नास्तिकता बुद्ध जेसी न हो तो नास्तिक अवसादी ,कुंठित ,ईर्षालू दिखता है ओर नास्तिकता बुद्ध जेसी हो तो नास्तिक करुणामय ,जागरूक , ओर नम्र ,दुसरो का हित करने वाला होता है |
shivpratapsingh

shivpratapsingh

टिप्पणी हेतु धन्यवाद

15 मार्च 2015

डॉ. शिखा कौशिक

डॉ. शिखा कौशिक

विचारणीय आलेख .आभार

15 मार्च 2015

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क्या आर्य विदेशी थे ?

14 मार्च 2015
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आजकल एक दलित वर्ग विशेष (अम्बेडकरवादी ) अपने राजनेतिक स्वार्थ के लिए आर्यों के विदेशी होने की कल्पित मान्यता जो कि अंग्रेजी और विदेशी इसाई इतिहासकारों द्वारा दी गयी जिसका उद्देश्य भारत की अखंडता ओर एकता का नाश कर फुट डालो राज करो की नीति था उसी मान्यता को आंबेडकरवादी बढ़ावा दे रहे है | जबकि स्वयम अम्

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तीसरा धाम???

15 मार्च 2015
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यजुर्वेद 32.10-- " स नो बन्धुर्जनिता स विधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा। यत्र देवा अमृतमानशानास्तृतीये धामन्नध्यैरन्त।।" इस मन्त्र मेँ आया हुआ ये पद " यत्र देवा अमृतमानशानास्तृतीये धामन्नध्यैरन्त" जिसका अर्थ हैँ जिस तीसरे धाम मेँ मोक्षसुख को प्राप्त होते हुए ज्ञानवान् लोग स्वेच्छापूर्वक विचरण करते

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इतिहास की अनकही कहानिया(The untold story of history)

15 मार्च 2015
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मित्रो इतिहास मे कई वीरो की गाथाए है जो खो गई है ओर कई वीरो की वीरता के कार्यो का श्रेय किसी दूसरे को दिया गया लेकिन यहा यह लेख कोई वीर या वीरता की गाथा को नही है बल्कि एक महान प्रेम कहानी को सम्प्रित है| भारत देश मे हीर रांझा,सलीम अनारकली,शाहजहा मुमताज कई प्रेमियो की कहानिया प्रसिध्द है तो कई इतिहा

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दलित वादी लेखको की झूठी कल्पना

15 मार्च 2015
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ग्रीक सभ्यता मे भगवान कृष्ण(Krishna in Greek civilization)

16 मार्च 2015
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जय श्री कृष्णा! मित्रो हमारे भगवान कृष्ण की महिमा ओर यश के बारे मे आप सब परिचित है | भगवान कृष्ण योगेश्वर है,सभी शास्त्रो के ज्ञाता के साथ साथ युध्दादि कला मे भी निपुण थे| अर्जुन को गीता जैसे उपदेश देने वाले भगवान कृष्ण से भारत ही नही बल्कि विश्व की समस्त प्राचीन सभ्यताए जैसे-सिंधु सरस्वती,मेसोपोटाम

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चुंबकीय उत्तोलन और हिंदू मंदिर (Magnetic levitation and Hindu Temples)

16 मार्च 2015
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आपने जेकी चेन की The Myth नाम की फिल्म तो देखि ही होगी ?? नहीं तो जरुर देखे ,उसमे जेकी चेन एक पुरातत्व विद था जो भारत में एक मंदिर में आता है । उस मंदिर में साधू उड़ पा रहे थे क्युकी 2 काले जादुई पत्थर के कारण । यह कल्पना नहीं पर सत्य है ,पर साधू के बजाये मुर्तिया हवा में तैरती थी । चुम्बक का उल्लेख

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ज़फरनामा : गुरु गोविन्द सिंह का पत्र !

16 मार्च 2015
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भारत अनादि काल से हिन्दू देश रहा है. इस देश में जितने भी धर्म, संप्रदाय और मत उत्पन्न हुए हैं, उन सभी के अनुयायी, इस देश के वास्तविक उतराधिकारी हैं. लेकिन जब भारत पर इस्लामी हमलावरों का शासन हुआ तो उन्होंने हिन्दू धर्म और हिन्दुओं को मिटाने के लिए हर तरह के यत्न किये. आज जो हिन्दू बचे हैं, उसके लिए

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राजा जयसिंह के नाम शिवाजी का पत्र

17 मार्च 2015
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भारतीय इतिहास में दो ऐसे पत्र मिलते हैं जिन्हें दो विख्यात महापुरुषों ने दो कुख्यात व्यक्तिओं को लिखे थे। इनमे पहिला पत्र "जफरनामा" कहलाता है जिसे श्री गुरु गोविन्द सिंह ने औरंगजेब को भाई दया सिंह के हाथों भेजा था। यह दशम ग्रन्थ में शामिल है जिसमे कुल 130 पद हैं। दूसरा पत्र छ्त्रपति शिवाजी ने आमेर क

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क्या श्री राम ने पशु वध किया था ???

18 मार्च 2015
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मित्रो कुछ दिन पहले इसी साईट पर एक कविता पढने को मिली जिसमे एक नास्तिक मित्र ने आरोप किया की राम ने मास ,चर्म के लिए हिरन का पीछा किया था | उन्होंने बिना प्रमाण ये आक्षेप कर दिया अब पता नही उनकी केसी भावना हो लेकिन इससे यह बात तो पता चलती है कि नास्तिकता अगर बुद्ध जेसी न हो तो वो कुंठा .अवसाद बन जात

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स्वाध्याय का महत्व

20 मार्च 2015
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कई लोग कहते है कि केवल भक्ति ही ईश्वर प्राप्ति का मार्ग है स्वाध्याय या वेद अध्ययन नही ..ये उन लोगो का भ्रम है जो ऐसा कहते है क्या बिना ज्ञान के कोई सही मार्ग पर जा सकता है नही जो ऋषि मुनि ईश्वर का साक्षात्कार किया उन्होंने स्वाध्याय को भी ईश्वर प्राप्ति में आवश्यक माना है | मह्रिषी पतंजली कहते है

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सोम रस ओर शराब

20 मार्च 2015
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कई पश्चमी विद्वानों की तरह भारतीय विद्वानों की ये आम धारणा है ,कि सोम रस एक तरह का नशीला पदार्थ होता है । ऐसी ही धारणा डॉ.अम्बेडकर की भी थी ,,डॉ.अम्बेडकर अपनी पुस्तक रेवोलुशन एंड काउंटर रेवोलुशन इन असिएन्त इंडिया मे निम्न कथन लिखते है:- . यहाँ अम्बेडकर जी सोम को वाइन कहते है ।लेकिन शायद वह

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ऊंटेश्वरी माता का महंत

30 मार्च 2015
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फादर ऐन्थानी फर्नान्डीस उर्फ फादर टोनी राष्ट्रवादी , स्वतंत्र चिंतक , ईमानदार और अपनी हिन्दू विरासत को मानने वाले गुजराती कैथोलिक ईसाई थे। वर्षों धर्मान्तरण कार्य में लगे रहने के दौरान जब उन्होंने कैथोलिक चर्च की समाज सेवा के नाम पर कुटिलता और धोखाधडी से धर्म परिवर्तन कराये जाने की साजिश को नजदीक

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टोन टोटके का एक रहस्य !

30 मार्च 2015
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ओ३म् मारय-मारय, उच्चाटय- उच्चाटय, विद्वेषय- विद्वेषय, छिन्दी- छिन्दी, भिन्दी- भिन्दी, वशीकुरू- वशीकुरू, खादय- खादय, भक्षय- भक्षय, त्राटय- त्राटय, नाशय- नाशय, मम शत्रुन् वशीकुरू- वशीकुरू, हुं फट् स्वाहा....!!" आदि मोहिनीमारण के तन्त्रमन्त्रोच्चार ने पूरे वातावरण को भयप्रेत कर दिया। विशाल जन समुदाय

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