shabd-logo

क्या श्री राम ने पशु वध किया था ???

18 मार्च 2015

741 बार देखा गया 741
मित्रो कुछ दिन पहले इसी साईट पर एक कविता पढने को मिली जिसमे एक नास्तिक मित्र ने आरोप किया की राम ने मास ,चर्म के लिए हिरन का पीछा किया था | उन्होंने बिना प्रमाण ये आक्षेप कर दिया अब पता नही उनकी केसी भावना हो लेकिन इससे यह बात तो पता चलती है कि नास्तिकता अगर बुद्ध जेसी न हो तो वो कुंठा .अवसाद बन जाती है | जबकि एक नास्तिक एक अन्धविश्वासी आस्तिक से १०० गुना अच्छा होता है | अब यहा लगाये गये आक्षेप का प्रश्नोतर शेली में यथा योग्य प्रमाण सहित उत्तर देते है - प्रश्न-क्या श्री राम ने किसी हिरण की हत्या की थी? उत्तर-रामायण के अनुसार वो कोई हिरण नही था असल मे वो एक मायावी बहरूपिया मारिच था जिसने सीता जी ओर रामजी को भ्रमित करने के लिए हिरण का छद्म भेष बनाया था।(ये ठीक इसी प्रकार था जैसे कि रात मे रस्सी को साप समझ कर भ्रम मे पड जाना,रेगिस्तान मे प्यासे को पानी नजर आना) असल मे मारीच भेष बदलने के अलावा तरह तरह की आवाजे(मिमिकरी)निकालने मे भी माहिर था। उसके इस छल के बारे मे लक्ष्मण जी ओर श्री राम जी को भी पता चल गया था,, जैसा कि बाल्मिक रामायण मे है- शड्कमानस्तु तं दृष्टा लक्ष्मणो राममब्रवीत्। तमेवैनमहं मन्ये मारीचं राक्षसं मृगम् ॥अरण्यकांड त्रिचत्वारिश: सर्ग: 4॥वा॰रा॰ उस मृग को देख लक्ष्मण के मन मे सन्देह उत्पन्न हुआ ओर उनहोने श्री राम जी से कहा-मुझे तो मृगरूपधारी यह निशाचर मारीच जान पडता है। वास्तव मे वो सब बनावटी था इसके बारे मे लक्ष्मण जी ने श्री राम से कहा- मृगो ह्मेवंविधो रत्नविचित्रो नास्ति राघव। जगत्यां जगतीनाथ मायैषा हि संशयः॥अरण्यकांड त्रिचत्वारिशत: सर्ग 7॥वा॰रा. लक्ष्मण जी कहते है,है पृथ्वीनाथ!है राघव!इस धरतीतल पर तो इस प्रकार का रत्नो से भूषित विचित्र मृग कोई है नही।अत: निस्संदेह यह सब बनावट है । अत: इन बातो से यह निश्चत है कि श्रीराम जानते थे कि वो बहरूपिया असुर मारीच था कोई हिरण नही,, लेकिन बेवकुफ लोग यहा भी प्रश्न करेंगे कि वो एक बहरूपिया था फिर भी श्री राम ने उसे क्यु मारा ओर उसका कसूर किया था,, उ०-अरे अंध भक्तो राम जी जानते थे कि वो पापी था क्युकि एक बार पहले भी श्री राम ने उसे क्षमा कर दिया था उसका ओर श्री राम जी का पहले भी सामना हुआ था,, खुद मारीच ने इस बात को रावण से कहा था कि वो कितना पापी था। "नीलजीतमूतसडँ्काशस्तप्तकाञ्चनकुण्डलः। भयं लोकस्य जनयन्किरीटी परिघायुधः॥ व्यचरं दण्डकारण्ये ऋषिमांसानि भयक्षन्। विश्वामित्रोsथ धर्मात्मा मद्वित्रस्तो महामुनिः॥अर॰का॰,अष्टत्रिशः सर्गः,२,३॥ मारीच कहता है कि मेरे शरीर की कांति नीले रंग के बादल के समान थी,कानो मे तपाये हुए सोने के कुण्डल पहिने,मस्तक पर किरीट धारण किये ओर हाथ मे परिघ लिये हुए,तथा लोगो मे भय उपजाता हुआ मै दण्डकवन मे घूम घूम कर ऋषियो का मांस खाता था।धर्मात्मा महान महर्षि विश्वामित्र भी मेरे से भयभीत थे॥ उसके इस वर्णन से पता चलता है कि वो दुष्ट था साथ ही शस्त्र,मुकुट,कुण्डल पहने एक नीच मनुष्य ही था। प्र०-क्या सीता जी ने उस मृग को मांस के लिए श्री राम जी से पकडने के लिए बोला था? उ॰-नही! हिरण सीता जी ने मांस के लिए नही बल्कि सीता जी ने खेलने के लिए मंगवाया था। "आर्यपुत्राभिरामोsसौ मृगो हरति मे मनः। आनयैनं महाबाहो क्रीडार्थ नो भविष्यति॥ अरण्यकांड,त्रिचत्वारिशः सर्गः॥ सीता जी कहती है-है आर्यपुत्र,यह मृग मेरे मन को हरे लेता है,सो है महाबाहोः इसे तुम ले आओ!मै इसके साथ खेला करूगी॥ इससे पता चलता है कि सीता जी ने उस हिरण को मांस के लिए नही बल्कि खेलने के लिए श्री राम जी को पकडने को कहा था। अत: रामायण से ही स्पष्ट है कि श्री राम ने किसी मूक पशु का वध नही किया न ही सीता जी ने उसे मांस के लिए मंगवाया था,,, (नोट - प्रमाण बाल्मिक रामायण से है जो गीताप्रेस की अनुवादित है )
1

क्या आर्य विदेशी थे ?

14 मार्च 2015
0
1
2

आजकल एक दलित वर्ग विशेष (अम्बेडकरवादी ) अपने राजनेतिक स्वार्थ के लिए आर्यों के विदेशी होने की कल्पित मान्यता जो कि अंग्रेजी और विदेशी इसाई इतिहासकारों द्वारा दी गयी जिसका उद्देश्य भारत की अखंडता ओर एकता का नाश कर फुट डालो राज करो की नीति था उसी मान्यता को आंबेडकरवादी बढ़ावा दे रहे है | जबकि स्वयम अम्

2

तीसरा धाम???

15 मार्च 2015
0
0
0

यजुर्वेद 32.10-- " स नो बन्धुर्जनिता स विधाता धामानि वेद भुवनानि विश्वा। यत्र देवा अमृतमानशानास्तृतीये धामन्नध्यैरन्त।।" इस मन्त्र मेँ आया हुआ ये पद " यत्र देवा अमृतमानशानास्तृतीये धामन्नध्यैरन्त" जिसका अर्थ हैँ जिस तीसरे धाम मेँ मोक्षसुख को प्राप्त होते हुए ज्ञानवान् लोग स्वेच्छापूर्वक विचरण करते

3

इतिहास की अनकही कहानिया(The untold story of history)

15 मार्च 2015
0
1
0

मित्रो इतिहास मे कई वीरो की गाथाए है जो खो गई है ओर कई वीरो की वीरता के कार्यो का श्रेय किसी दूसरे को दिया गया लेकिन यहा यह लेख कोई वीर या वीरता की गाथा को नही है बल्कि एक महान प्रेम कहानी को सम्प्रित है| भारत देश मे हीर रांझा,सलीम अनारकली,शाहजहा मुमताज कई प्रेमियो की कहानिया प्रसिध्द है तो कई इतिहा

4

दलित वादी लेखको की झूठी कल्पना

15 मार्च 2015
0
2
2

इतिहास की पोथिया कुरदे तो पता चलता है कि हर जाति पर समय समय पर अत्याचार हुए है | लेकिन दलित व्यक्तियों पर जो अत्याचार हुए वो इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्यूंकि अन्य लोगो पर अत्यचार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा हुए लेकिन दलितों पर अत्याचार अपने ही लोगो अपने ही देश के लोगो के कारण हुए , लेकिन आज कल एक तनाव

5

ग्रीक सभ्यता मे भगवान कृष्ण(Krishna in Greek civilization)

16 मार्च 2015
0
1
2

जय श्री कृष्णा! मित्रो हमारे भगवान कृष्ण की महिमा ओर यश के बारे मे आप सब परिचित है | भगवान कृष्ण योगेश्वर है,सभी शास्त्रो के ज्ञाता के साथ साथ युध्दादि कला मे भी निपुण थे| अर्जुन को गीता जैसे उपदेश देने वाले भगवान कृष्ण से भारत ही नही बल्कि विश्व की समस्त प्राचीन सभ्यताए जैसे-सिंधु सरस्वती,मेसोपोटाम

6

चुंबकीय उत्तोलन और हिंदू मंदिर (Magnetic levitation and Hindu Temples)

16 मार्च 2015
0
0
0

आपने जेकी चेन की The Myth नाम की फिल्म तो देखि ही होगी ?? नहीं तो जरुर देखे ,उसमे जेकी चेन एक पुरातत्व विद था जो भारत में एक मंदिर में आता है । उस मंदिर में साधू उड़ पा रहे थे क्युकी 2 काले जादुई पत्थर के कारण । यह कल्पना नहीं पर सत्य है ,पर साधू के बजाये मुर्तिया हवा में तैरती थी । चुम्बक का उल्लेख

7

ज़फरनामा : गुरु गोविन्द सिंह का पत्र !

16 मार्च 2015
0
1
5

भारत अनादि काल से हिन्दू देश रहा है. इस देश में जितने भी धर्म, संप्रदाय और मत उत्पन्न हुए हैं, उन सभी के अनुयायी, इस देश के वास्तविक उतराधिकारी हैं. लेकिन जब भारत पर इस्लामी हमलावरों का शासन हुआ तो उन्होंने हिन्दू धर्म और हिन्दुओं को मिटाने के लिए हर तरह के यत्न किये. आज जो हिन्दू बचे हैं, उसके लिए

8

राजा जयसिंह के नाम शिवाजी का पत्र

17 मार्च 2015
0
0
0

भारतीय इतिहास में दो ऐसे पत्र मिलते हैं जिन्हें दो विख्यात महापुरुषों ने दो कुख्यात व्यक्तिओं को लिखे थे। इनमे पहिला पत्र "जफरनामा" कहलाता है जिसे श्री गुरु गोविन्द सिंह ने औरंगजेब को भाई दया सिंह के हाथों भेजा था। यह दशम ग्रन्थ में शामिल है जिसमे कुल 130 पद हैं। दूसरा पत्र छ्त्रपति शिवाजी ने आमेर क

9

क्या श्री राम ने पशु वध किया था ???

18 मार्च 2015
0
1
0

मित्रो कुछ दिन पहले इसी साईट पर एक कविता पढने को मिली जिसमे एक नास्तिक मित्र ने आरोप किया की राम ने मास ,चर्म के लिए हिरन का पीछा किया था | उन्होंने बिना प्रमाण ये आक्षेप कर दिया अब पता नही उनकी केसी भावना हो लेकिन इससे यह बात तो पता चलती है कि नास्तिकता अगर बुद्ध जेसी न हो तो वो कुंठा .अवसाद बन जात

10

स्वाध्याय का महत्व

20 मार्च 2015
0
1
0

कई लोग कहते है कि केवल भक्ति ही ईश्वर प्राप्ति का मार्ग है स्वाध्याय या वेद अध्ययन नही ..ये उन लोगो का भ्रम है जो ऐसा कहते है क्या बिना ज्ञान के कोई सही मार्ग पर जा सकता है नही जो ऋषि मुनि ईश्वर का साक्षात्कार किया उन्होंने स्वाध्याय को भी ईश्वर प्राप्ति में आवश्यक माना है | मह्रिषी पतंजली कहते है

11

सोम रस ओर शराब

20 मार्च 2015
0
1
1

कई पश्चमी विद्वानों की तरह भारतीय विद्वानों की ये आम धारणा है ,कि सोम रस एक तरह का नशीला पदार्थ होता है । ऐसी ही धारणा डॉ.अम्बेडकर की भी थी ,,डॉ.अम्बेडकर अपनी पुस्तक रेवोलुशन एंड काउंटर रेवोलुशन इन असिएन्त इंडिया मे निम्न कथन लिखते है:- . यहाँ अम्बेडकर जी सोम को वाइन कहते है ।लेकिन शायद वह

12

ऊंटेश्वरी माता का महंत

30 मार्च 2015
0
0
0

फादर ऐन्थानी फर्नान्डीस उर्फ फादर टोनी राष्ट्रवादी , स्वतंत्र चिंतक , ईमानदार और अपनी हिन्दू विरासत को मानने वाले गुजराती कैथोलिक ईसाई थे। वर्षों धर्मान्तरण कार्य में लगे रहने के दौरान जब उन्होंने कैथोलिक चर्च की समाज सेवा के नाम पर कुटिलता और धोखाधडी से धर्म परिवर्तन कराये जाने की साजिश को नजदीक

13

टोन टोटके का एक रहस्य !

30 मार्च 2015
0
0
0

ओ३म् मारय-मारय, उच्चाटय- उच्चाटय, विद्वेषय- विद्वेषय, छिन्दी- छिन्दी, भिन्दी- भिन्दी, वशीकुरू- वशीकुरू, खादय- खादय, भक्षय- भक्षय, त्राटय- त्राटय, नाशय- नाशय, मम शत्रुन् वशीकुरू- वशीकुरू, हुं फट् स्वाहा....!!" आदि मोहिनीमारण के तन्त्रमन्त्रोच्चार ने पूरे वातावरण को भयप्रेत कर दिया। विशाल जन समुदाय

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए