कहे तिरंगा शान से, गौरव और सम्मान से,
एक देश आजाद हुआ जो, जीवन के बलिदान से।
आजादी का जशन मनाते, बीते साल सततर,
काम किये हम सब ने मिलकर, एक एक से बढकर।
छुक छुक करती गाड़ी बदली, तेज गति की मैट्रो में,
कागज के किश्ती जहाज भी, बदले मिराज सुखोई में।
चौपालौं पर भी अब होती ,कम्प्यूटर की बातें ,
गाँव बने कस्बे , कस्बो में होती शहरों सी रातें।
नयी नयी उन्नत तकनीकें, नयी नयी आशायें,
नये नये है साफ्टवेयर, डिजिटल होती भाषायें।
महामारी कोरोना जैसी, हमें हिला न पायी,
हर मुश्किल का किया सामना, जीत है इस पर पायी।
आतंकवाद के राक्षस से भी, लडते इसके वीर,
बम बारूदो से न डरते, होते नहीं अथीर।
मंगल ग्रह पर भी जाकर, ये डालें अपना डेरा,
लहर लहर लहराऊ मैं, ये मान बढायें मेरा।
बस इतनी अभिलाषा मेरी, कोई कमी न रह जाये,
मेरी छाया में रहकर ये देश महान कहलाये।