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देश भर के ३.४ करोड़ किसानों को डिजिटल भुगतान पर बल देने के लिए नाबार्ड मुहैया कराएगा रुपे कार्ड - फार्मर्स कनेक्शन

23 दिसम्बर 2016

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article-imageनाबार्ड ने देश भर के ३.४ करोड़ किसानों को रूपे कार्ड मुहैया करने की योजना बनाई है। यह योजना आज के दौर में बहुत जरूर जब सरकार डिजिटल भुगतान पर बल दे रही है। नाबार्ड यह कार्ड सहकारी बैंकों और कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से उपलब्ध कराएगा। रूपे कार्ड से किसान खाद, बीज और अन्य कृषि उपकरण खरीद सकेंगे। नाबार्ड ने पहले ही एक लाख गांव में २ लाख पॉइंट ऑफ़ सेल (पीओएस) मशीन लगाने की योजना बना ली है। इसके लिए १२० करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं।

सामान्यतया किसान बीज, खाद और अन्य कृषि जरूरतों के लिए नगद धन का उपयोग करते हैं क्योंकि ग्रामीण इलाकों में तकनीक अभी पहुची नहीं है। रुपये कार्ड किसानों को मिलने के बाद आसानी से नगद रहित लेनदेन कर पाएंगे। सहकारी बैंक और और किसानों की क्रेडिट कॉपरेटिव सोसाइटीज खता खोलेंगी और किसानों को रूपे कार्ड जारी करेंगी। जिन किसानों के खाते खुले हुए हैं उन्हें भी रूपे कार्ड जारी किया जायेगा।

ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार नाबार्ड के माध्यम से बैंकों को वित्तीय समर्थन का विस्तार करेगी और १००००० गांव में हर गांव में २ पॉइंट ऑफ़ सेल (पीओएस) मशीन लगाएगी जिनकी आबादी १०००० से कम है। पीओएस मशीनें सहकारी समितियों, दुग्ध समितियों, कृषि सामान बेचने वाले डीलरों के यहाँ लगाई जाएँगी।

देश भर के ३.४ करोड़ किसानों को डिजिटल भुगतान पर बल देने के लिए नाबार्ड मुहैया कराएगा रुपे कार्ड - फार्मर्स कनेक्शन
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देश भर के ३.४ करोड़ किसानों को डिजिटल भुगतान पर बल देने के लिए नाबार्ड मुहैया कराएगा रुपे कार्ड - फार्मर्स कनेक्शन

23 दिसम्बर 2016
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नाबार्ड ने देश भर के ३.४ करोड़ किसानों को रूपे कार्ड मुहैया करने की योजना बनाई है। यह योजना आज के दौर में बहुत जरूर जब सरकार डिजिटल भुगतान पर बल दे रही है। नाबार्ड यह कार्ड सहकारी बैंकों और कोऑपरेटिव सोसाइटी के माध्यम से उपलब्ध कराएगा। रूपे कार्ड से किसान खाद, बीज और अन्य

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ये दलहनी फसलें कम समय में तैयार होंगी और रोग मुक्त भी, आईआईपीआर कानपुर ने विकसित की नई प्रजातियां - फार्मर्स कनेक्शन

17 फरवरी 2017
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भारतीय दलहन अनुसन्धान संस्थान (आईआईपीआर) के कृषि वैज्ञानिकों ने दलहनी फसलों की ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं जिसमे न रोग लगेगा और न ही पकने में ज्यादा समय। जिससे किसान अब मटर, चना और मसूर की रोगमुक्त फसल पैदा कर सकेंगे। इन नई प्रजातियों के तैयार होने से दलहनी फसलें तीन से

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