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धारा 370

24 दिसम्बर 2023

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धारा 370 
आओ हम सब  प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए। इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए। इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।  अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान है

निर्णय के अनुसार संविधान सभा की सिफ़ारिश राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं थी। इसमें कहा गया कि जम्मू-कश्मीर संविधान सभा का उद्देश्य एक अस्थायी निकाय था। इस मामले में अपवाद केवल आर्ट‍िकल अनुच्छेद 370(1) को रखा गया है। अनुच्छेद 370 जम्‍मू-कश्‍मीर के मामले में संसद को संसदीय शक्‍त‍ियों का इस्तेमाल करने से रोकता है। नवंबर 1956 में जम्मू-कश्मीर में अलग संविधान का काम पूरा हुआ और 26 जनवरी, 1957 को राज्य में विशेष संविधान लागू कर दिया गया। इसके बाद, भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने अनुच्छेद 370 के तहत अपना पहला आदेश, संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश, 1950 जारी किया, जिसमें संसद द्वारा जम्मू और कश्मीर में प्रयोग की जाने वाली शक्तियों का दायरा और पूरी सीमा निर्दिष्ट की गई थी।5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था, साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था और दोनों को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था. केंद्र के इस फैसले के खिलाफ SC में 23 याचिकाएं दाखिल की गई थीं.भारत के संविधान में 17 अक्तूबर, 1949 को अनुच्छेद 370 शामिल किया गया था। यह जम्मू-कश्मीर को भारत के संविधान से अलग रखता था। इसके तहत राज्य सरकार को अधिकार था कि वो अपना संविधान स्वयं तैयार करे। साथ ही संसद को अगर राज्य में कोई कानून लाना है तो इसके लिए यहां की सरकार की मंजूरी लेनी होती थी।      1954 के संविधान आदेश ने, भारतीय संविधान में अनुच्छेद 35ए को सम्मिलित करके, जम्मू और कश्मीर राज्य विधानमंडल को राज्य के 'स्थायी निवासियों' का निर्णय लेने और उन्हें राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों में विशेष अधिकार और विशेषाधिकार प्रदान करने, अधिग्रहण करने का "पूर्ण अधिकार" दिया। राज्य के भीतर संपत्ति ,    संयुक्त राज्य अमेरिका में, प्रत्येक राज्य का अपना लिखित संविधान है।  यहाँ एक राक्षस नाग भी रहता था, जिसे वैदिक ऋषि कश्यप और देवी सती ने मिलकर हरा दिया और ज़्यादातर पानी वितस्ता (झेलम) नदी के रास्ते बहा दिया। इस तरह इस जगह का नाम सतीसर से कश्मीर पड़ा। इससे अधिक तर्कसंगत प्रसंग यह है कि इसका वास्तविक नाम कश्यपमर (अथवा कछुओं की झील) था। इसी से कश्मीर नाम निकला। जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir,J&K) ५ अगस्त २०१९ तक भारत का एक राज्य था जिसे अगस्त २०१९ में द्विभाजित कर जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख नामक दो केंद्र शासित प्रदेश के रूप में स्थापित कर दिया गया। कश्मीर का नाम ऋषि कश्यप के नाम पर बसाया गया था। और कश्मीर के पहले राजा भी महर्षि कश्यप ही थे। उन्होंने अपने सपनों का कश्मीर बनाया था। कश्मीर घाटी में सर्वप्रथम कश्यप समाज निवास करता था| भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे उत्तरी भौगोलिक क्षेत्र कश्मीर का इतिहास अति प्राचीन काल से आरम्भ होता है। भारतीय दंड संहिता की धारा 371 के अनुसार, जो कोई अभ्यासतः दासों को आयात, निर्यात, हटाएगा, खरीदेगा, बेचेगा या उनका दुर्व्यापार या व्यवहार करेगा, तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा। दासों का आभ्यासिक व्यवहार करना।  धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिए। इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।  जिस तरह से अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को विशेष अधिकार दिए थे, जिसे खत्म कर दिया गया है ठीक उसी तरह अनुच्छेद 371 भी अन्य राज्यों को कई तरह के विशेष अधिकार देता है. वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 371 से भविष्य में किसी तरह का छेड़छाड़ न करने का भरोसा दिया है.
आओ हम सभी एक-दूसरे को सहयोग करते हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र 
Neeraj Agarwal

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सच तो यही है अब न्यायालय सर्वोच्च हैं

24 दिसम्बर 2023

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जिस तरह से अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को विशेष अधिकार दिए थे, जिसे खत्म कर दिया गया है ठीक उसी तरह अनुच्छेद 371 भी अन्य राज्यों को कई तरह के विशेष अधिकार देता है. वहीं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 371 से भविष्य में किसी तरह का छेड़छाड़ न करने का भरोसा दिया है.
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धारा 370 आओ हम सब प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू कर

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