वैज्ञानिकों ने सूर्य में एक छेद देखा है। यह छिद्र 60 पृथ्वियों के आकार का है, यह पृथ्वी की सतह पर खुला होता है और इसे कोरोनल छिद्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे पहली बार 2 दिसंबर को देखा गय
हे! मानस के दीप कलशतुम आज धरा पर फिर आओ।नवयुग की रामायण रचकर मानवता के प्राण बचाओं ।आज कहाँ वो राम जगत में जिसने तप को गले लगाया ।राजसुख से वंचित रह जिसने मात - पिता का वचन निभाया । सुख कहाँ है वो राम राज्य का ?वह सपना तो अब टूट गया ।कहाँ
भय प्रगट कृपाला दीन दयाला डॉ शोभा भारद्वाज ब्रम्हा के पुत्र महर्षि पुलस्त्य कुल में जन्मा रावण ऋषि विश्वश्रवा एवं उनकी दूसरी पत्नी कैकसी की सन्तान था यह तीन भाई रावण कुम्भकर्ण , विभीषण बहन का नाम स्रूपनखा था चारो ने वन में जाकर कठोर तप किया रावण ने अग्नि कुंड में अपने हाथ से सिर काट कर आहुति दे द
कूड़े के ढेर तले दबी मेरी मां धरती है बिन कसूर यह हरदम क्यों हर्जाना भरती है ?जो देश कभी हुआ करता था सोने की चिड़िया वो बना आज गंदगी का सरताज है जिन चीजों से होता है कचरा क्यों आज हम उन्हीं चीजों के मोहताज है इस मनुष्य के कृत्य से, यह धरती पल-पल मरती है बिन कसूर यह हर
मैं......... क्यों ?हम सबमें कहीं सशक्त है ‘मैं’,कहीं छिपी है, तो कहीं विकराल है। मूल्यों और भावनाओं को तोड़ती ,असंतुष्ट , स्वार्थी और संवेदनहीन बनाती ‘मैं ‘रिश्तों में फैलती, संक्रमण की तरह ,अहसासों को लगती दीमक की तरह , मय में अंधा, मर्यादाओं को लाँघ रहा है। खोकर इ
इसी धरा , इसी जमीं पर जीवन मुझे हर बार मिलेहे जन्म भूमि ! माते धरतीहर जन्म में तेरा प्यार मिले।। कितनी प्यारी ये धरती हैंकितनी हैं इसकी सुन्दरताइसकी माटी की सौंधी महकतन मन को कर देती ताजाकितनी शक्ती हैं तुझमें माँहम सब के बोझ को है झेलेहे जन्म भूमि