ऐ रब! ऐसा दिन कभी न दिखाना,कि खुद के ग़ुरूर में खो जाऊँ,पल दो पल अपनों के साथ बैठ न सकूँ,अपने आप में इतना मगरूर हो जाऊँ।न देना दुनियाँ भर की दौलत मुझे,पर बख़्श देना इतनी खुशियाँ ज़िन्दगी में,कि दिन भर का
गीत ******** जीवन उलझा मेरा दौलत को कमाने में।हम भूल गए घर को कुछ वक्त बिताने में।सब छूट गए अपने बस याद बसी मन में।हूँ आज दुखी फिर भी रहता खुश जीवन में।परदेश बसे आकर घरद्वार छुटा अपना।है आज दुखित माता सूना ममता अँगना।हूँ आज नही सुख में अवशोष जमाने में।जीवन उलझा मेरा दौलत को कमाने में।बस च
इस दुनिया मैँ दोलत कमाना बहुत आसान है लेकिन किसी के दिल में घर बनाना बहुत मुशकिल है मुझे जाय्दा तर्जुवा तो नही जिदगी का किन्तु अपनी उम्र के इन 19 वषों इतना तो समझ आया कि जितनी मोहब्बत अपनी मोहब्बत से की उसकी अगर आधी भी मोहब्बत मैँ अपने माँ बाप से करता तो शायद मुझे जन्नत नसीन होती पर अब शायद उन लावा