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किसी के दिल में घर बनाना बहुत मुशकिल

12 अप्रैल 2015

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 इस दुनिया मैँ दोलत कमाना बहुत आसान है लेकिन किसी के दिल में घर बनाना बहुत मुशकिल है मुझे जाय्दा तर्जुवा तो नही जिदगी का किन्तु अपनी उम्र के इन 19 वषों इतना तो समझ आया कि जितनी मोहब्बत अपनी मोहब्बत से की उसकी अगर आधी भी मोहब्बत मैँ अपने माँ बाप से करता तो शायद मुझे जन्नत नसीन होती पर अब शायद उन लावारिस आशिकोँ मैँ मेरा नाम शुमार हो जिन्है ये दुनिया आवारा कहती है   


जिसने चाहा दिल से खेला ओर जब चाहा छोड दिया एक एक करके हर शख्स ने मुझसे नाता तोड लिया किसी ने मजबूरी का हवाला दिया तो किसी ने तकदीर को गुनेहगार बताया   जिसको चाहा बो मिला नही ओर जो मोला ने दिया वो रहा नही किसी ने शायद सच ही कहा है शायर की जिदगीँ सिफ तस्सबुर तक ही होती है बस इतनी इलत्जा है अपनी तजुर्वा ए जिँदगी से   भूलकर भी किसी मोहब्बत से मोहब्बत ना करना ¤  मोहब्बत अगर करना भी तो सिर्फ अपने माँ बाप से क्योँकि   माँ के कदमोँ मेँ जन्नत मिलती है ओर बाप के कन्धो से दुनिया दिखती है¤


 " निशाक्की " (लेखक) 26 November 2014 at 13

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मोहब्बत एक नशे की तरह जिसकी एक बार लत पड़ जाये तो उसका नशा जाके उतरता

12 अप्रैल 2015
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मेरी अब तक की सबसे बेस्ट स्टोरी मैँ से एक "wrongcall" का कुछ अंश आपके लिये लिख रहा हूँ ;"मोहब्बत ऐक ऐसे नशे की तरह जिसकी एक बार लत पढजाये तो उसका नशा जाके उतरता है या तो "शराब केमहखाने मैँ"या फिर"आँशुओँ के पैमाने मैँ""मोहब्बत को हम बेबफा पत्नी की तरह तलाकभी नहीँ दे सकते , मोहब्बत तो हमेँ बुढापे के ह

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किसी के दिल में घर बनाना बहुत मुशकिल

12 अप्रैल 2015
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 इस दुनिया मैँ दोलत कमाना बहुत आसान है लेकिन किसी के दिल में घर बनाना बहुत मुशकिल है मुझे जाय्दा तर्जुवा तो नही जिदगी का किन्तु अपनी उम्र के इन 19 वषों इतना तो समझ आया कि जितनी मोहब्बत अपनी मोहब्बत से की उसकी अगर आधी भी मोहब्बत मैँ अपने माँ बाप से करता तो शायद मुझे जन्नत नसीन होती पर अब शायद उन लावा

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