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कुजंवन मैं बांसुरी के धुन मैं त्रीदश आनन्दित कृष्ण के लीला मैं कंस है दुःखित ।हय को भय हो तो न हो उसके आसन्न रेवतीरमण के साथ दुराचारी मातुल को , दिखाये मृत्यु के चरण ।।कोविद को देकर ज्ञान पार्थ को पढाये गिता भागवत