shabd-logo

दुनिया के नज़ारे देख हैरान हूँ मैं

30 जनवरी 2015

432 बार देखा गया 432
featured image दुनिया के नज़ारे देख हैरान हूँ मैं, कदम कदम पर फरेब परेशांन हूँ मैं. जायका बदल गया है हर खाने का , मिलावटखोरों के घर का शैतान हूँ मैं. गरीब कैसे पिस रहे सियासत के खेल मैं , कुछ कह नहीं सकता बेजुबान हूँ मैं . आया है अस्पताल तो जिन्दगी की दुआ कर , हकीम के हाथ में मौत का सामान हूँ मैं. जेब अगर खाली है तो भाग यहाँ से , हाकिम के दफ्तर का फरमान हूँ मैं.
डॉ. शिखा कौशिक

डॉ. शिखा कौशिक

sateek likha hai aapne .badhai

30 जनवरी 2015

1

हम तो लुट गए यार,यारी में

30 जनवरी 2015
0
1
1

हम तो लुट गए यार, यारी में . मिला बेइंतहाँ प्यार ,यारी में . खुश हूँ की अपने ही जीते, मान ली हमने हार, यारी में . तू जाने का नाम न ले ए दोस्त , रोयेंगे आंसू हजार, यारी में. न होंगे खफा अब जमाने तक, कर ले म

2

दुनिया के नज़ारे देख हैरान हूँ मैं

30 जनवरी 2015
0
0
1

दुनिया के नज़ारे देख हैरान हूँ मैं, कदम कदम पर फरेब परेशांन हूँ मैं. जायका बदल गया है हर खाने का , मिलावटखोरों के घर का शैतान हूँ मैं. गरीब कैसे पिस रहे सियासत के खेल मैं , कुछ कह नहीं सकता बेजुबान हूँ मैं . आया है अस्पताल तो जिन्दगी की दुआ कर , हकीम के हा

3

राह में यूँ कांटे बिछाया न करो

30 जनवरी 2015
0
0
0

राह में यूँ काँटा बिछाया ना करो. दूर रहकर मुझे सताया ना करो हक़ है मुझे करीब रहने का, महफ़िल में ऐसे पराया ना करो . खता क्या है बताओ तो सही, बेक़सूर हूँ फंसाया ना करो. जिंदगी के लम्हे कीमती हैं बहुत, दर्देगम में इसे जाया ना करो . खुशियों को दामन

4

प्रभु इच्छा

2 फरवरी 2015
0
0
0

भगवान् हमको बोला कि हमरा भी एक लेख निकालो, लेख ए कि अपन दुनिया बनाया. दूनिया में सुख-दुःख, पवित्र-अपवित्र भला-बुरा सब तरा का आदमी भी बनाया. ए सब हमरा खेल,और कोई फालतू नईं,सब जरुरी खेल. अब जो आदमी दुःख का रोना रोये दुनिया की कोई बात या आदमी को नफरत या शिकायत करे ओ मूरख, ओ संसार का अभिप्राय नईं जानता,

5

रामप्रसाद विद्यार्थी ‘रावी’

3 फरवरी 2015
0
0
0

हिंदी साहित्य जगत को अपनी मौलिक कृतियों से समृद्ध करने वाले प्रयोगधर्मी जीवनशिल्पी साहित्यकार एवं चिन्तक रामप्रसाद विद्यार्थी ‘रावी’ के निधन को विगत सितम्बर माह को बीस वर्ष पुरे हो चुके हैं. ठीक बीस साल पहले 09सितम्बर 1994 को रावी ने आगरा (सिकंदरा) के निकट अपनी कर्मस्थली (नयानगर,कैलास आश्रम) म

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए