19 जुलाई 2020
बदल गयी है ,इंसान की अब अपनी फितरत; बदल रहा है,इंसान अब पैमाने ए कुदरत।जीने की परिभाषा,विकास की अभिलाषा;सब कुछ बदल रहा,पूरी करने अपनी लालसा। प्रकृति को छेड़ , छीन पशु पक्षियों का आसरा;स्वार्थ के अतिरेक,जंगल पे