ऐ... दिल!
तू मर क्यों नहीं जाता,
सुकून की तलाश में,
ठहर क्यों नहीं जाता,
होते हैं गिले,
ख़ामोशी ओढ़ ले,
कितने पैरों के निशां,
सब बिगाड़ दे,
कुछ जी ले...
या जी जाने दे...!!!
या सिमट कर हमें,
कही दफन हो जाने दे,
राहत-ए-सुकून मिलेगा कहाँ?
कुछ पल मुझे जी जाने दे,
ऐ दिल मुझे संभल जाने दे...
ऐ दिल मुझे संभल जाने दे।
आरती सिंह "पाखी"_🙏🏻