एक बेटी हु मैं
फिर क्यो मारते हो मुझे
चिड़िया सी सीधी हु मैं
फिर क्यो सांप बनकर डसते हो मुझे
फूल हु तेरे आंगन का
फिर क्यो कांटा समझकर काटते हो मुझे
एक बेटी हु मैं
फिर क्यो मारते हो मुझे
तेरे बहन जैसी हु मैं
फिर क्यो रावण जैसे ताड़ते हो मुझे
बनना हैं तो इंसान बनो
फिर क्यो जानवर बनकर मारते हो मुझे
मुझ बिन आधे हो तुम
फिर क्यो नहीं अपनाते हो मुझे
दुनिया देखने से पहले ही
क्यो कोख मे ही दफनाते हो मुझे
एक बेटी हु मैं
फिर क्यो मारते हो मुझे!!