शीर्षक - सरनेम शादी के बाद ( क्यों छीन ली जाती है हम स्त्रियों से हमारी पहचान )
मैं एक तुच्छ लेखिका श्रद्धा 'मीरा ' आपसे सविनय निवेदन करती हूं , कि आप सामाजिक नियमों में कुछ बदलाव करें कि हम लड़कियों की पहचान हमारे पिता या पति के नाम से नही अपितु हमारी माता के नाम से हो हमारी भी अपनी पहचान हो , हम लड़कियां आजीवन अपनी मां के ही नाम से जानी जाए , ये सरनेम की दुविधा का अंत कर दीजिए महोदय हाथ जोड़कर विनती है आपसे आप राजा हैं हमारे हमारी पुकार भी सुन लीजिए , आपसे विनती है कि हमारे सभी दस्तावेजों में हमारी मां का नाम हो हम सभी लड़कियों की मां का नाम ही आजीवन हमारा सरनेम रहे।
क्या कहूं मैं इस समाज की संकीर्ण मानसिकता को , हर वक्त बस एक बात जो बार बार मन को तोड़ती है क्यों छीन ली जाती है हम लड़कियों से शादी के बाद हमारी पहचान? क्यों हमारा सरनेम बदल दिया जाता है ? हमारी इच्छा हो या न हो फिर भी हमारी पहचान को पति का नाम दे दिया जाता है , इस स्वतंत्र भारत में सबको अपनी इच्छा से जीने का अधिकार है तो फिर हमें ये अधिकार क्यों नही ?
कभी किसी भी पुरुष से तो नही पूछा जाता उसकी पत्नी का नाम ! क्यों सवाल नही किया जाता किसी पुरुष से कि उसकी पत्नी कौन है ? किसी पुरुष की पहचान उसकी पत्नी से तो नही नही होती तो फिर लड़कियों से सवाल क्यों ,, बीस या पच्चीस सालों तक लड़की अपने पिता से मिला हुआ सरनेम अपने नाम के आगे लिखती है फिर अचानक से क्यों बदल जाता है सब ? समान अधिकार की बड़ी बड़ी बातें करने वाले इस भारत देश के लोग आज भी पीछे ही हैं कहते हुए दुःख होता है ,
छोटे मुंह बड़ी बात कहने ही हिम्मत की है मैने
आज मेरे द्वारा की गई इस मां और बेटी के अधिकार की बात पर विचार अवश्य करिए महोदय आज तक आपने जनहित में कई महान काम किए हैं , अब स्त्रियों के हित और अधिकार मान सम्मान पर भी अपनी दया दृष्टि पड़ जाए तो आपकी अति कृपा होगी 🙏
श्रद्धा 'मीरा' ✍️