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मेरे मन की पाती

23 जनवरी 2022

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मेरे मन की पाती, 
मेरे प्रिय लेखक आपके नाम, 
जब से आपको पढ़ा है, 
मैं तो आपकी फैन हुई हूँ, 
पढ़ती हूँ अकसर आपकी
पुरानी किताबों को भी, 
जो अब धूल से अंट गयी हैं, 
उन्हें साफ करती हूँ, 
फिर पढ़ती हूँ रोज, 
आपको पढ़ना बहुत ही मन को भाता है,
अपने लेखन से, 
 कभी मेरे मन के भाव चुराते से लगते हो, 
तो कभी अपने मन के दर्द को बताते से लगते हो, 
कभी ज़िंदगी का तजुर्बा का चित्रण करते से
लगते हो, 
पर हर भाव को बड़ी ही खूबसूरती से उकेरते हो, 
लगता है जैसे खूबसूरत लफ़्जों का ज़खीरा जमा कर रखा है, 
अपने लेखन से तो हमारे दिल को चुराते हुए से
लगते हो।
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रचनाएँ
प्रिय साथी
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प्रिय साथी, लो आज कहना चाहती हूँ तुमसे, अपने दिल की बात, जो सामने होने पर कहना मुश्किल होता है, फिर भी ये दिल तुम से कुछ कहने को हर वक़्त मचलता रहता है, कहना चाहता तो है बहुत कुछ, पर कभी शरमाता है तो कभी घबड़ाता है, जब से देखा है तुम्हें, नज़र हर वक़्त तुम्हारे दीदार को मुंतज़िर रहता है, दिल हर वक़्त तुम्हारे लिए एक नए ख़्वाब बुनता रहता है, दुआओं में हर वक़्त तुम्हारी ही ख़ुशी माँगता रहता है, रब के सामने नाम तुम्हारा ले कर फरियाद करता रहता है, दिल हर वक़्त तुम्हें याद करता रहता है।

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