किसी को कुछ कमी है और किसी को तो कमी है कुछ,
यहाँ हर एक हंसती आंख में बाक़ी नमी है कुछ।
कोई सुंदर नहीं है और किसी पर है नहीं पैसा,
कोई नंगे बदन है और रोटी की कमी है कुछ।
कोई लम्बा है छोटा है कोई पतला है मोटा है,
कोई लाचार इतना है कि सांसों की कमी है कुछ।
किसी के मां नहीं है और किसी ने बाप खोया है,
किसी के कोई नहीं है रिश्तों की कमी है कुछ।
किसी पर कार नहीं है किसी को राह नहीं है,
किसी को पांव नहीं है और बाक़ी कमी है कुछ।
जगह अच्छी नहीं है और किसी ने घर लिया छोटा,
तरसते हैं कई सिर छत को छप्पर की कमी है कुछ।
ये पूरी की पूरी दुनियाँ अधूरी सी पहेली है,
करो कुछ भी,लगेगा ही कि अब भी कमी है कुछ।
यहाँ कुछ भी करो आखिर अधूरापन रहेगा ही,
कुछ नज़र साफ है कुछ पर अभी मिट्टी जमीं है कुछ।