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ग़ज़ल

28 अप्रैल 2016

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तेरा ख़याल मुझे बार बार आता है !

इसी ख़याल से दिल को क़रार आता है !!

 

जो देख लेता है एक बार तेरे चेहरे को !

उसे बग़ैर पिये ही ख़ुमार आता है !!

 

इसी  उम्मीद पे हम जी रहे हैं मुद्दत से !

कभी तो कह दे मेरा जाँ निसार आता है !!

 

ख़ुशी के दीप जल उठते हैं दिल में ऐ "रौनक़" !

मेरे लबों पे अगर ज़िक्रे यार आता है !!

 

~ प्रदीप श्रीवास्तव "रौनक़ कानपुरी"

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