shabd-logo

ग़ज़ल

28 अप्रैल 2016

167 बार देखा गया 167
featured image

तेरा ख़याल मुझे बार बार आता है !

इसी ख़याल से दिल को क़रार आता है !!

 

जो देख लेता है एक बार तेरे चेहरे को !

उसे बग़ैर पिये ही ख़ुमार आता है !!

 

इसी  उम्मीद पे हम जी रहे हैं मुद्दत से !

कभी तो कह दे मेरा जाँ निसार आता है !!

 

ख़ुशी के दीप जल उठते हैं दिल में ऐ "रौनक़" !

मेरे लबों पे अगर ज़िक्रे यार आता है !!

 

~ प्रदीप श्रीवास्तव "रौनक़ कानपुरी"

प्रदीप श्रीवास्तव की अन्य किताबें

ओम प्रकाश शर्मा

ओम प्रकाश शर्मा

बहुत खूब, प्रदीप जी !

29 अप्रैल 2016

किताब पढ़िए