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मणि जैसा रूप है तेरा , जो करता प्रकाश । कैसी यह लगन लगाई मन में , कैसी लगाई आस।
पता नहीं क्यों मेरे मन में, प्रेम का दीप जलाती हो। विरह की अग्नि में खुद जलकर, मुझको राह दिखाती हो। अपने लिए कुछ नहीं मांगे, सदा मुझे दिए जाती हो ।अपने लिए कुआं खोदे, मुझ