शाम कोविद्यालय से घर वापिस आते ही श्रीमती जी का आदेश हुआ की कुछ जरुरी सामान लानाहै...भागते हुए बाजार गया...वापिस आते-आते रात्रि के आठ बज चुके थे...आते ही भोजनपर टूट पड़ा....अभी प्रथम निवाला ही मुंह को गया था की फोन घनघना उठा...निवालागटकते-गटकते जेब में हाथ डाला और मोबा
"गुलज़ार गली" भाग-१ hindi poem"तुम्हे जाना तो खुद पे हमें तरस आ गया,तमाम उम्र यूँही हम खुद को कोसते रहें"............"गुलज़ार गली" यही नाम था उस गली का....मैने कभी देखा नहीं था बस सुना था, हर किसी के ज़ुबान पे बस उसी गली की चर्चा रहती "गुलज़ार गली" |तकरीबन डेढ़ महीन
वृद्ध दंपति द्वारा आत्महत्या... दुर्भाग्यपूर्ण घटना –हल्द्वानी...2018…( भाव= काल्पनिक )जैसे-जैसे आज शाम ढलने लगी, रोज़ की तरह दीपक की, लौजलने लगी,पत्नी की एकटक आँखें, डब- डबा रही थी,घर की एक-एक चीज़, आँखों में उतर-आ रही थी, दोनों नेमिलकर जाने कैसा , अभागा निर्णयले लिया,