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गीत -- अपने रंगों में रंगा रंगीला मन

13 मार्च 2017

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अपने रंगों में रंगा रंगीला मन ,

अब कोई भी रंग नहीं चढ़ता है |


लाल गुलाल मोह ममता -

का , तुम मुझ पर मत डारो |

कच्चे रंगों वाली अपनी ,

यह पिचकारी मत मारो |


मेरे पुण्यों के सच्चे हैं सब रंग ,

अब कोई भी रंग नहीं चढ़ता है |


जो कुछ दिया वही पाया ,

इस जीवन की झोली में |

कितनी बार जलाये मैंने ,

कलुष मरण की होली में |


तप तप कर हो गई जिन्दगी चन्दन ,

अब कोई भी मैल नहीं चढ़ता है |


यह रंगना बाहर बाहर ,

यह झूठा आडम्बर

मैं अन्तर से रंगी , रंग -

रस डूबी भीतर बाहर |


भीगूँ जलूं सुगन्धित होगा चन्दन ,

अब कोई भी जहर नहीं चढ़ता है |

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