कुछ
संकलित शेर
शाम से ही बुझा सा रहता है ,
दिल हुआ है चिराग मुफलिस का |
अज्ञात
झूठ के आगे पीछे दरिया चलते हैं ,
सच बोला तो प्यासा मारा जायेगा |
वसीम बरेलवी
एक मदारी ( शायर ) के जाने का गम किसको
गम तो ये है मजमा कौन लगायेगा |
वसीम बरेलवी
मुसलसल गम और लम्बी जिन्दगानी
बुजुर्गों की दुआ ने मार डाला |
अज्ञात
आदमी और गुनाहों से परहेज ,
तुम भी अख्तर कमाल करते हो |
अख्तर देहलवी
मुहब्बत के लिए कुछ खास दिल मकसूस होते हैं
,
ये वो नगमा है जो हर साज पर गाया नहीं जाता
|
मखमूर देहलवी